(www.arya-tv.com) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जल्द मां बनने में मदद करेगा। इजराइल की एक कंपनी ने ऐसा AI सॉफ्टवेयर बनाया है जो IVF ट्रीटमेंट के दौरान सबसे आशाजनक या अच्छे भ्रूण का पता लगाएगा। इससे IVF ट्रीटमेंट की सफलता की संभावना 30% बढ़ जाएगी।
आसान शब्दों में कहें तो जल्द AI की मदद से प्रेग्नेंसी की संभावना बढ़ जाएगी। IVF ट्रीटमेंट में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से पैदा हुए बच्चों को ‘AI बेबीज’ कहा जाएगा।
डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, ये सॉफ्टवेयर IVF प्रोसेस के दौरान आनुवंशिक असामान्यताओं (जेनेटिक एब्नॉर्मेलिटीज) से संबंधित भ्रूण संबंधी विशेषताओं का पता लगाकर सबसे आशाजनक भ्रूण का पता लगाता है। IVF यानी इन विट्रो फर्टिलाइजेशन गर्भधारण करने का एक आर्टिफिशियल तरीका है। इस प्रणाली में महिलाओं के एग्ज और पुरुष के स्पर्म को लैब में एक साथ रखकर फर्टिलाइज किया जाता है। इसके बाद भ्रूण को महिला के गर्भ में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
एंब्रियो का सिलेक्शन सबसे अहम
सॉफ्टवेयर बनाने वाली रिप्रोडॉक्टिव टेक्नोलॉजी कंपनी AIVF के सह-संस्थापक और CEO डॉ. गिल्बोआ ने कहा- IVF प्रोसेस के दौरान एंब्रियो (भ्रूण) का सिलेक्शन सबसे कठिन और जरूरी होता है। AI सॉफ्टवेयर को भ्रूण संबंधी उन विशेषताओं का पता लगाने के लिए ट्रेनिंग दी गई है जो आनुवंशिक असामान्यताएं और इंप्लांटेशन से संबंधित हैं। ये आमतौर पर किसी भी तकनीक से आसानी से पता नहीं चल पाते हैं।
उन्होंने कहा- ट्रेनिंग के दौरान AI सॉफ्टवेयर को भ्रूण के विकास से जुड़े कई घंटों के फुटेज दिखाए गए। इससे AI सॉफ्टवेयर को सबसे आशाजनक भ्रूण का पता लगाने में मदद मिली।
AI सॉफ्टवेयर से IVF ट्रीटमेंट की सफलता संभावना काफी ज्यादा
डॉ. गिल्बोआ ने कहा- अब तक डॉक्टर्स एंब्रियो सिलेक्ट करते आए हैं, लेकिन कई बार सिलेक्शन गलत हो जाता है और IVF ट्रीटमेंट फेल हो जाता है।
आमतौर पर महिलाओं को 3 से 5 बार IVF ट्रीटमेंट करवाना पड़ता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि लैब में 10 से 12 एंब्रियो ऐसे होते हैं जिनमें बच्चे को रखने की क्षमता होती है। ये सब एक जैसे ही दिखते हैं। इनमें से डॉक्टर्स को एक एंब्रियो सिलेक्ट करना होता है।
उन्होंने कहा- किसी भी भ्रण को सिलेक्ट करने से पहले पूरी रिसर्च की जाती है, लेकिन आखिरकार ये रिसर्च इंसान ही कर रहे हैं। जरूरी नहीं कि प्रेग्नेंसी की संभावना का जो आकलन किया गया हो वो सही हो। इसलिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर की मदद ली जा रही है। इससे महिलाओं को एक बार ही IVF ट्रीटमेंट करवाना होगी और उन्हें पॉजिटिव रिजल्ट मिल जाएगा।
डॉक्टर्स की जगह नहीं लेगा AI सॉफ्टवेयर
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर से IVF प्रोसेस में कम समय लगेगा; क्योंकि मशीनें इंसानों से तेज काम करती हैं, लेकिन इसका मतलब ये नहीं की ये सॉफ्टवेयर डॉक्टर्स की जगह ले लेंगे। सॉफ्टवेयर सिर्फ आशाजनक भ्रूण का पता लगाएगा, इसको IVF ट्रीटमेंट के लिए सिलेक्ट करना का फैसला डॉक्टर्स ही लेंगे।
बच्चे के जन्म के लिए मशीनी कोख भी तैयार
दिसंबर 2022 में ‘एक्टोलाइफ’ नाम की कंपनी ने दुनिया का पहला आर्टिफिशियल यूट्रस यानी कृत्रिम कोख तैयार किया। इसमें पलने वाला बच्चा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की निगरानी में 9 महीने गुजारेगा। कंपनी की यह तकनीक है- ‘आर्टिफिशियल यूट्रस फैसिलिटी।’