कौन है अमृतपाल, जिसे भिंडरांवाले पार्ट-2 कहा जा रहा:थाने पर हमला कर साथी को रिहा कराया

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(www.arya-tv.com) ‘500 साल से हमारे पूर्वजों ने इस धरती पर अपना खून बहाया है। कुर्बानी देने वाले इतने लोग हैं कि हम उंगलियों पर गिना नहीं सकते। इस धरती के दावेदार हम हैं। इस दावे से हमें कोई पीछे नहीं हटा सकता। न इंदिरा हटा सकी थी और न ही मोदी या अमित शाह हटा सकता है। दुनिया भर की फौजें आ जाएं, हम मरते मर जाएंगे, लेकिन अपना दावा नहीं छोड़ेंगे।’

ये बयान खालिस्तान समर्थक संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह का है। दरअसल, वारिस पंजाब दे से जुड़े हजारों लोगों ने गुरुवार को अमृतसर के अजनाला थाने पर हमला कर दिया। इनके हाथों में बंदूकें, तलवारें और भाले थे। ये लोग संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह के करीबी लवप्रीत सिंह तूफान की गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे। इनके हमले के बाद दबाव में आई पंजाब पुलिस ने आरोपी को रिहा करने का ऐलान कर दिया।

पंजाब के अमृतसर जिले में जल्लूपुर खेड़ा में साल 1993 में अमृतपाल सिंह का जन्म हुआ। 12वीं तक पढ़ाई करने के बाद साल 2012 में अमृतपाल काम के सिलसिले में दुबई चला गया। दुबई में वह ट्रांसपोर्ट बिजनेस का काम करने लगा।

पिछले साल फरवरी में दीप सिद्धू की मौत के बाद ‘वारिस पंजाब दे’ को संभालने के लिए अमृतपाल वापस पंजाब लौट आया। 29 सितंबर 2022 को मोगा जिले के रोडे गांव में अमृतपाल को ‘वारिस पंजाब दे’ का प्रमुख घोषित किया गया। दरअसल, खालिस्तानी आतंकी रहे जरनैल सिंह भिंडरांवाला इसी रोडे गांव का रहने वाला था। इस दौरान यहां पर हजारों की संख्या में लोग मौजूद थे, जिन्होंने खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए।

‘वारिस पंजाब दे’ संगठन को पंजाबी अभिनेता संदीप सिंह उर्फ दीप सिद्धू ने सितंबर 2021 में बनाया था। दीप सिद्धू 26 जनवरी 2021 को लालकिले पर हुए उपद्रव के मामले में प्रमुख आरोपी था। इस संगठन का मकसद- युवाओं को सिख पंथ के रास्ते पर लाना और पंजाब को जगाना है। इस संगठन के एक मकसद पर विवाद भी है वह है- पंजाब की ‘आजादी’ के लिए लड़ाई।

सोशल मीडिया एक्टिविटी से पता चलता है कि अमृतपाल पिछले 5 सालों से सिखों से संबंधित मुद्दों पर मुखर होकर बोल रहा है। वह 3 कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का भी हिस्सा बना, खासकर दीप सिद्धू से जुड़े आंदोलन का।

शंभू बॉर्डर पर दीप सिद्धू अपने भाषणों में कहता ​​था कि कृषि कानूनों को निरस्त करने के बावजूद आंदोलन बंद नहीं होना चाहिए, बल्कि पंजाब में एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक परिवर्तन की ओर ले जाना चाहिए। अमृतपाल सिंह के अपने विचार भी ऐसे ही हैं, लेकिन उसने दीप सिद्धू से अलग राह पकड़ी है।

यहां एक और रोचक बात है कि अमृतपाल और दीप सिद्धू जाहिर तौर पर कभी एक-दूसरे से नहीं मिले और दोनों के बीच सिर्फ सोशल मीडिया के जरिए ही बातचीत हुई।

यहीं से अमृतपाल सिंह का विवादों से नाता जुड़ जाता है। उनके समर्थकों का दावा है कि दीप सिद्धू, अमृतपाल सिंह के करीबी थे। इसीलिए वह वारिस पंजाब दे के प्रमुख बनने के सबसे योग्य थे। दीप सिद्धू के कुछ सहयोगी जैसे पलविंदर सिंह तलवारा और परिवार के कुछ सदस्य अमृतपाल को प्रमुख बनाए जाने का विरोध करते हैं।

पत्रकार भगत सिंह दोआबी का दावा है कि सिद्धू ने अमृतपाल को सोशल मीडिया पर ब्लॉक तक कर दिया था। लुधियाना के वकील और दीप सिद्धू के भाई मनदीप सिंह सिद्धू एक बातचीत में बताते हैं कि हम अमृतपाल से पहले कभी नहीं मिले। दीप सिद्धू भी उससे कभी नहीं मिले। वह कुछ समय तक फोन पर दीप के संपर्क में रहा, लेकिन बाद में दीप ने उसे ब्लॉक कर दिया।

हमें नहीं पता कि उसने खुद को मेरे भाई के संगठन का प्रमुख कैसे घोषित कर दिया। वह असामाजिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए हमारे नाम का दुरुपयोग कर रहा है। उसने किसी तरह मेरे भाई के सोशल मीडिया अकाउंट्स को एक्सेस कर लिया और उन पर पोस्ट करना शुरू कर दिया।

मनदीप कहते हैं कि मेरे भाई ने इस संगठन को पंजाब के मुद्दों को उठाने और जरूरतमंदों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए बनाया था न कि खालिस्तान का प्रचार करने के लिए। अमृतपाल पंजाब में अशांति फैलाने की बात कर रहा है। वह मेरे भाई और खालिस्तान का नाम लेकर लोगों को बेवकूफ बना रहा है। मेरा भाई अलगाववादी नहीं था।