रामचरितमानस की चौपाइयों को सही संदर्भ में समझना जरूरी… स्वामी प्रसाद मौर्य की याचिका खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने दी नसीहत

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(www.arya-tv.com)लखनऊ. समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस के अपमान मामले में प्रतापगढ़ में दर्ज केस की चार्जशीट रद्द करने की  याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने खारिज कर दिया है. स्वामी प्रसाद मौर्य की याचिका खारिज़ करने का आदेश हाईकोर्ट की वेबसाईट पर अपलोड हुआ. अपने आर्डर में हाईकोर्ट ने सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को नसीहत दी है कि रामचरितमानस की चौपाइयों को सही संदर्भ में समझना जरूरी है.

अपने आदेश में हाईकोर्ट ने कहा है कि मौर्य को स्वतंत्र समीक्षा का अधिकार है, लेकिन ऐसे शब्दों का प्रयोग नहीं किया जा सकता, जिससे धर्म विशेष के लोगों की भावनाएं आहत हों. किसी ग्रंथ में दिए गए कथन को सही परिप्रेक्ष्य में पढ़ा जाना चाहिए. किस पात्र ने, किस परिस्थिति में, किस व्यक्ति से कहा है ये समझना जरूरी है. कोर्ट ने कहा है कि स्वतंत्र समीक्षा या आलोचना का तात्पर्य ये नहीं कि ऐसे शब्दों का प्रयोग किया जाए कि लोग अपराध करने को प्रेरित हों.

बता दें कि 31 जनवरी 2023 को मौर्य पर रामचरित मानस के अपमान का मामला दर्ज हुआ था. मौर्य ने उस मुकदमे और चार्जशीट को खारिज करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. हाईकोर्ट लखनऊ की सिंगल बेंच ने 31 अक्टूबर को मौर्य की याचिका को खारिज किया था. कोर्ट ने अपने आदेश में ढोल, गंवार, शूद्र, पशु , नारी सकल ताड़ना के अधिकारी चौपाई की भी व्याख्या की है. साथ ही पूजिये विप्र सील गुन हीना, सूद्र न गुन गन ज्ञान प्रवीना चौपाई की भी हाईकोर्ट ने आदेश में व्याख्या की है. गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के एमएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस को दलितों और शूद्रों के खिलाफ बताया था. जिसके बाद ही रामचरितमानस की प्रतियों को  जलाया भी गया था.