संघर्ष की दास्तान, सीएम योगी ने बढ़ाया हौसला और जैनब ने जीत लिया सिल्वर मेडल, पिता के छलक आए आंसू

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(www.arya-tv.com) मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस खिलाड़ी को दो साल पहले विलक्षण प्रतिभा होने पर सम्मानित किया था. उसका हौसला बढ़ाया था, उसी बेटी ने चीन में आयोजित हुए पैरा एशियन गेम्स में तिरंगा लहरा दिया. इस बेटी ने रजत पदक जीतकर देश का दिल जीत लिया. इस बेटी ने पैरा एशियन गेम्स में रजत पदक जीतकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को धन्यवाद कहा. इसके साथ ही संघर्ष की लंबी दास्तान याद कर माता-पिता के आंसू छलक आए.

पत्थर काटने वाले पिता मोहम्मद आदिल को तो मानो सारा जहां मिल गया हो. पिता का कहना है कि बचपन में जब बच्ची के दोनों पैर खराब हो गए थे तो उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था, आज वही बेटी हौसले की ऐसी बुनियाद पर खड़ी हुई है जिस पर सारा देश नाज कर रहा है. मो. आदिल कहते हैं कि सीएम योगी ने बेटी को दो साल पहले एक समारोह में सम्मानित किया था. इस सम्मान से जैनब का हौसला ऐसे बढ़ा कि बेटी आज उड़ान भर रही है. वो पीएम मोदी और सीएम योगी को इसके लिए तहे दिल से धन्यवाद दे रहे हैं.

बिटिया ने बढ़ाई देश की शान, मिला मान
न्यूज 18 की टीम ने जब जैनब के गांव का दौरा किया तो वही लोग आज बिटिया के तारीफों के पुल बांध रहे हैं. जिन्होंने कभी उसका मजाक उड़ाया था वे भी आज तालियां बजा रहे हैं. बेटी के संघर्ष की कहानी बताते- बताते उनकी आंखें नम हो जाती हैं. पिता का कहना है कि जैनब की कामयाबी उनकी कौम के लिए भी एक संदेश है. वहीं, मां अपनी बिटिया पर फख्र करते हुए कहती हैं कि आज देशभर में उनकी शान बढ़ गई है.

मेहनत, हौसला और बेटी की बड़ी उड़ान
बेटी के मेडल लेकर वो उन संघर्ष के दिनों को याद करती हैं जब जैनब कभी सिलाई कर आर्थिक तंगी को दूर करने में परिवार की मदद करती थी तो कभी शादी के घऱ पर जाकर मेहंदी लगाकर अपने प्रशिक्षण का ख़र्च वहन करती थी. मां का कहना है कि बेटी जब आएगी तो उसे फूल मालाओं से लाद देंगी. वो भी बार बार सरकार का धन्यवाद देती हैं कि सीएम योगी ने बेटी पढ़ेगी बेटी आगे बढ़ेगी बेटी खेलेगी का जो नारा बुलंद किया है वो आज रंग ला रहा है.

जैनब से नई जेनरेशन को मिल रही ऊर्जा
जैनब की मां आज भी अपने गांव की बेटियों को निशुल्क शिक्षा देती हैं. न्यूज 18 की टीम जब सिल्वर मेडलिस्ट जैनब के घर पहुंची तो बच्चों का तांता लगा हुआ मिला. बच्चे जैनब दीदी कहकर बार-बार तालियां बजाते नजर आए. ये बच्चे कह रहे हैं कि वो भी बड़े होकर जैनब जैसी कामयाबी हासिल करना चाहते हैं. जाहिर है जैनब के जज्बे ने बच्चों में नई ऊर्जा दी है.

चार साल की उम्र में पहुंचा था आघात
गौरतलब है कि मात्र चार साल की उम्र में जैनब के कमर के नीचे का हिस्सा पैरेलाइज हो गया था. बावजूद इसके उसने हिम्म्त नहीं हारी. स्नातक तक पढ़ाई की और कम्प्यूटर कोर्स किया. कम्पिटीशन की तैयारी की और मात्र पांच साल पहले ही उसने पैरा खेलों में अपना भविष्य बनाने की ठानी और आज वो चांदी सी चमक रही हैं. ऑल द बेस्ट जैनब खातून.