कूल नहीं हो रहे ट्रेनों के एसी कोच, जानिए क्या कर रहे तैयारियं

Gorakhpur Zone

गोरखपुर (www.arya-tv.com) यात्री ट्रेनों के एसी कोच की खिड़कियों पर फिर से पर्दे लगाए जाएंगे। वातानुकूलन और इलेक्ट्रिक विभाग की सिफारिश पर प्रशासनिक स्तर पर पर्दा लगाने को लेकर मंथन चल रहा है। जल्दी ही इस प्रकरण को रेलवे बोर्ड के समक्ष रखा जाएगा। बोर्ड की हरी झंडी मिलते ही पर्दा लगाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

कम कूलिंग की शिकायत पर संबंधित विभागों ने रेलवे प्रशासन से की सिफारिश

जानकारों का कहना है कि कोरोना के बढ़ते संक्रमण के चलते प्रशासनिक स्तर पर मामला लटका है। लेकिन जल्द ही कवायद तेज हो जाएगी। पर्दा लगाने के नफा-नुकसान पर पहले ही चर्चा हो चुकी है। दरअसल, कोचों की खिड़कियों से पर्दा हटने के बाद कोरोना का संक्रमण तो नहीं रुका, लेकिन यात्रियों की परेशानी जरूर बढ़ गई। पर्दा नहीं होने से कोच पूरी तरह ठंडा नहीं हो पाते। अब तो गर्मी बढऩे के साथ ही लोगों की शिकायतें भी बढ़ गई हैं। सर्वाधिक परेशानी साइड की बर्थ पर यात्रा करने वाले यात्रियों को हो रही है। नए लिंकहाफमैन बुश (एलएचबी) के एसी कोचों में पंखे नहीं होने से दिक्कतें और बढ़ गई हैं।

यात्रियों की यह थी शिकायत

यात्रियों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त ठंड नहीं मिल रही। जबकि, वे एसी का पूरा किराया दे रहे हैं। सफर में साथ चल रहे एसी मैकेनिक चाहकर भी लोगों को संतुष्ट नहीं कर पा रहे। उनकी मुश्किलें बढऩे लगी हैं। ऐसे में यात्रियों और एसी मैकेनिक की परेशानियों को देखते हुए संबंधित विभागों ने रेलवे प्रशासन से कोचों की खिड़कियों पर फिर से पर्दा लगाने का आग्रह किया है। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को रोकने का हवाला देते हुए रेलवे बोर्ड ने लाकडाउन के बाद एक जून 2020 से ट्रेनों के संचालन के साथ ही एसी कोचों से पर्दा और बेडरोल हटा लिया है।

खिड़कियों से छनकर अंदर प्रवेश करती हैं सूर्य की किरणें

सामान्य दिनों में एसी कोचों की खिड़कियों पर पर्दा होने से सूर्य की किरणें अंदर प्रवेश नहीं कर पाती थीं। अब पर्दा हट जाने से किरणें सीधे कोचों में प्रवेश करती हैं। जिससे कोच पर्याप्त ठंडे नहीं हो पाते। प्लांट और गैलरी में तो कूलिंग ठीक रहती, लेकिन कोच के बीच में और किनारे गर्मी का अहसास होता है। यही नहीं पुराने की अपेक्षा नई एलएचबी कोच की दीवार पतली होने से गर्मी और बढ़ जाती है। पुरानी कोच की दीवार साढे तीन इंच मोटी होती थीं। नए कोच की दीवार पौने तीन मोटी ही बन रही है।