काबुल से 200 लोग एयरलिफ्ट कर दोहा पहुंचाए गए

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(www.arya-tv.com) काबुल एयरपोर्ट से अमेरिकी सैनिकों के हटने और तालिबान के कब्जे के बाद पहली इंटरनेशनल फ्लाइट ने गुरुवार को उड़ान भरी। कतर एयरवेज की इस फ्लाइट से 200 लोगों को कतर की राजधानी दोहा पहुंचाया गया। इन लोगों में अमेरिकी भी शामिल थे। बता दें 31 अगस्त को अमेरिका ने काबुल एयरपोर्ट तालिबान के हवाले कर दिया था। इसके बाद काबुल एयरपोर्ट से उड़ानों पर रोक लगा दी गई थी, लेकिन अब फिर से शुरू कर दी गई हैं।

तालिबानी सोच- महिलाओं का काम सिर्फ बच्चे पैदा करना, वे मंत्री नहीं बन सकतीं
अफगानिस्तान में अपने अधिकारों और नई सरकार में अपनी भागीदारी के लिए तालिबान से लड़ रहीं महिलाओं का प्रदर्शन तेज हो गया है। महिलाओं का प्रदर्शन काबुल से बढ़कर उत्तर-पूर्वी प्रांत बदख्शां पहुंच गया है। वहां भी कई महिलाएं सड़कों पर उतर आई हैं। इस बीच तालिबान ने महिलाओं को लेकर बेतुका बयान दिया है। तालिबानी प्रवक्ता सैयद जकीरूल्लाह हाशमी ने कहा- ‘एक महिला मंत्री नहीं बन सकती है। महिलाओं के लिए कैबिनेट में होना जरूरी नहीं है। उन्हें बच्चे पैदा करना चाहिए। उनका यही काम है। महिला प्रदर्शनकारी अफगानिस्तान की सभी महिलाओं का प्रतिनिधित्व नहीं कर रही हैं।’

तालिबान ने अफगानी हीरो के मकबरे में तोड़फोड़ की
तालिबान ने गुरुवार को पंजशीर की राजधानी बाजारख में उत्पात मचाते हुए अफगानिस्तान के हीरो अहमद शाह मसूद के मकबरे में तोड़फोड़ कर दी। बता दें गुरुवार को ही मसूद की 20वीं बरसी थी। अमेरिका में 9/11 हमले के ठीक दो दिन पहले यानी 9 सितंबर 2001 को अलकायदा ने मसूद की हत्या की थी।

अमेरिकी विमानों पर झूला झूल रहे तालिबानी
अमेरिका को मजबूरी में अपने विमान अफगानिस्तान में छोड़ने पड़े हैं, लेकिन अमेरिकी सैनिक इन विमानों को निष्क्रिय कर गए हैं। ऐसे में तालिबानी इन विमानों को उड़ा तो नहीं पा रहे, लेकिन उन पर झूला झूलते नजर आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर एक ऐसा ही वीडियो वायरल हुआ है, हालांकि इसकी लोकेशन पता नहीं चल पाई है।

UN की चेतावनी- अफगानिस्तान में आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह चरमरा सकती है
संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि अफगानिस्तान में सामाजिक व्यवस्थाएं और अर्थव्यवस्था पूरी तरह पटरी से उतरने का खतरा बना हुआ है। अफगानिस्तान पर संयुक्त राष्ट्र की राजदूत देबोराह लेयॉन्स ने दुनिया से अपील की है कि तालिबान से जुड़ी चिंताओं के बावजूद अफगानिस्तान में पैसे का फ्लो बनाए रखें नहीं तो पहले से ही गरीब इस के हालात बेकाबू हो सकते हैं। अफगानिस्तान इस वक्त करंसी की वैल्यू में गिरावट, खाने-पीने की चीजों, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी इजाफा और प्राइवेट बैंकों में नकदी की कमी जैसे संकटों का सामना कर रहा है। यहां तक कि संस्थाओं के पास स्टाफ का वेतन देने तक के पैसे नहीं हैं। UN ने कहा है कि इन हालातों में इकोनॉमी को चलाने के लिए कुछ महीने का वक्त दिया जाना चाहिए।