इन 4 फिल्मों में हुआ था अयोध्या मामले का जिक्र

Fashion/ Entertainment

अयोध्या में सारी बहस और तथ्यों के बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। कोर्ट का कहना है कि विवादित ढांचे की जमीन हिन्दुओं को मिलेगी, मस्जिद के लिए मुसलमानों को दूसरी जगह मिलेगी। अदालत ने कहा कि सुन्नी वक़्फ बोर्ड को मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ अलग उपयुक्त जमीन दी जाए। बता दें जस्सिट रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली बेंच ने 40 दिनों तक इस पर सुनवाई की थी। हिंदी फिल्मों में हर विषय को भुनाने की पूरी कोशिश की जाती है। ऐसे में बॉलीवुड में कई ऐसी फिल्में बनी हैं जिनमें अयोध्या मामले का जिक्र किया गया है। आइए बात करते हैं उन्हीं फिल्मों की।
सात खून माफ, 2011
सात खून माफ साल 2011 में रिलीज हुई एक साइकोलोजिकल थ्रिलर फिल्म थी। इसका निर्देशन विशाल भारद्वाज ने किया था। फिल्म में प्रियंका चोपड़ा ने मुख्य भूमिका निभाई थी। सुजाना (प्रियंका चोपड़ा) कश्मीर में वसीउल्लाह खान(इरफान खान) को सुनती हैं और वो कहता है- ‘कोई कहता है एक मस्जिद थी, कोई कहता है एक मंदिर था। मंदिर ये चुप है, मस्जिद है गुमसुम, इबादत तक पड़ेगी।’
‘गेम ऑफ अयोध्या’
निर्देशक सुनील सिंह की फिल्म ‘गेम ऑफ अयोध्या’ लिब्रहान आयोग की रिपोर्ट पर आधारित है। ये फिल्म साल 2017 में रिलीज हुई थी। फिल्म ने कई राजनीतिक चेहरों को कठघरे में खड़ा किया था। फिल्म में उस वक्त के नेताओं के भाषणों के वास्तविक फुटेज हैं। फिल्म में एक प्रेम कहानी है और कुछ हिंदू-मुस्लिम किरदार।
बॉम्बे 1995
बाबरी मस्जिद की घटना पर एक और फिल्म का निर्देेशन हुआ। फिल्म के डायरेक्टर थे मनिरत्नम। अरविंद स्वामी और मनीषा कोइराला इस फिल्म में मुख्य भूमिका में थे। बाबरी मस्जिद विवाद पर बनी से फिल्म ने कमाई भी अच्छी की थी और ये फिल्म सफल रही थी। इस फिल्म में उस समय को भी दिखाया गया था जब बाबरी मस्जिद को गिराया गया था और शहर में दंगे भड़क गए थे। फिल्म के लिए मणिरत्नम के निर्देशन की भी सराहना हुई थी।

ब्लैक फ्राइडे, 2007
निर्देशक अनुराग कश्यप की फिल्म ब्लैक फ्राइडे भी इस लिस्ट में शामिल है। इस फिल्म की खासियत यह है कि यह फिल्म केवल 70 दिनों में बनकर तैयार हुई थी। मगर इसे रिलीज होने के लिए तीन साल का इंतजार करना पड़ा। यह फिल्म इतनी विवादास्पद थी कि सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म पर 2004 में बैन लगा दिया था और तीन साल बाद यह रिलीज हो सकी। ब्लैक फ्राइडे में 1993 में मुंबई में हुए हमले को सिलेसिलेवार तरीके से दिखाने की कोशिश की है। ये बम ब्लास्ट्स बाबरी मस्जिद के ढहने के बाद ही हुए थे।