मैसूर दुष्कर्म मामले में 5 आरोपी गिरफ्तार, गृह मंत्री ने पुलिस को किया धन्यवाद, जानिए क्या कहा है

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(www.arya-tv.com) मैसूर दुष्कर्म मामले में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है। आज 5 आरोपी को गिरफ्तार किया गया है। गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र ने इसकी जानकारी देते हुए कहा, ’हमारी पुलिस टीम ने दक्षता का प्रदर्शन किया। मैं अपनी पुलिस को धन्यवाद देता हूं।’

कर्नाटक के डीजीपी प्रवीण सूद ने बताया कि गिरफ्तार हुए पांच आरोपी तमिलनाडु से हैं। शुरुआती जांच में सामने आया है कि एक आरोपी नाबालिग है साथ ही एक आरोपी फरार है। हालांकि, जांच जारी है।

बता दें कि इससे पहले मामले के तूल पकड़ने के बाद सीएम बसवराज बोम्मई ने सख्ती दिखाते हुए कहा कि इस घटना को हमारी पुलिस ने गंभीरता से लिया है। इतना ही नहीं मामले की जांच के लिए गठित की पांच टीमें लगी हुई है। साथ ही दोषियों को जल्द से जल्द पकड़ने के आदेश दिए गए हैं। प्रदेश पुलिस की तारीफ करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा,’ हमारी पुलिस ने पहले भी कई मामलों का पर्दाफाश किया है।’

 इससे पहले पीड़िता के मित्र ने दर्ज कराया था अपना बयान

बता दें कि इस मामले में बीते दिन जांच कर रही विशेष टीम ने पीड़िता के मित्र का बयान दर्ज किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़िता के मित्र ने उस खौफनाक वारदात के बारे में बताया था, जिससे उन्हें 24 अगस्त को गुजरना पड़ा था। उन्होंने बताया कि वह जगह उनके लिए जानी-पहचानी थी और वे प्रतिदिन वहां जाकर जागिंग करते थे। इसके अलावा पुलिस की मदद करते हुए पीड़िता के मित्र ने बताया कि सभी आरोपितों की उम्र 25 से 30 साल के बीच है।

चामुंडा हिल्स की तरफ जा रही थी पीड़िता

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मैसूर में मेडिकल की छात्रा के साथ कुछ दिन पहले दुष्कर्म की खबर सामने आई थी। मेडिकल की इस छात्रा के साथ शहर के बाहरी इलाके ललिताद्रीपुरा में कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म का मामला दर्ज हुआ था। पुलिस ने बताया था कि मेडिकल छात्रा अपने एक मित्र के साथ बाइक पर पीछे बैठकर चामुंडा हिल्स की ओर जा रही थी, तभी कुछ बदमाशों ने उन्हें रोक लिया और इस बर्बर घटना को अंजाम दिया था।

बता दें कि फिलहाल पीड़िता अस्पताल में भर्ती है वहीं उसके मित्र का भी इलाज हुआ है। इस मामले में कर्नाटक के गृह मंत्री ने भी बेतूका बयान दिया था, जिसके चलते वह विवादों में घिर गए थे। हालांकि, बाद में उन्होंने अपना बयान वापस लेत हुए कहा था कि उनका मकसद किसी को चोट पहुंचाना नहीं था।