कानपुर में डेंगू का बड़ा हमला:9 महीने के बच्चे समेत 25 लोग पॉजिटिव, 2 जूनियर डॉक्टरों की स्थिति गंभीर

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(www.arya-tv.com) डेंगू का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। कानपुर का लगभग हर इलाका इसकी चपेट में आ चुका है। दो जूनियर डॉक्टर समेत 25 लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है। हालत गंभीर होने पर दोनों डॉक्टरों व एक अन्य को आईसीयू में भर्ती करना पड़ा है। अब तक डेंगू के 47 मामले आ चुके हैं।

मेडिकल कॉलेज के आर्थोपेडिक विभाग में तैनात जूनियर डॉक्टर अरविंद पटेल डेंगू की चपेट में हैं। वहीं, सर्जरी विभाग के जूनियर डॉक्टर रोहित मौर्य की भी हालत गंभीर है। डेंगू की पुष्टि होने के बाद दोनों आईसीयू में भर्ती हैं।

9 महीने का बच्चा भी संक्रमित
ग्रामीण इलाके भी डेंगू की चपेट में आ रहे हैं। मंधना निवासी 9 महीने के मासूम भूपेंद्र का इलाज निजी अस्पताल में चल रहा है। इसी तरह शिवराजपुर समेत बाहरी इलाकों में कई लोग बीमार हैं। वहीं, हरदौली में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने 10 लोगों के ब्लड सैंपल लिए हैं।

प्लेटलेट्स की मांग दोगुनी बढ़ी
प्लेटलेट्स की मांग भी दिवाली के पहले के मुकाबले दोगुनी हो गई है। साथ ही दूसरे जिलों से आ रहे मरीजों पर डेंगू शॉक का भी हमला शुरू हो गया है। 24 घंटे में तीन निजी अस्पतालों में भर्ती मरीजों को आईसीयू में शिफ्ट किया है। उनमें प्लेटलेट्स काउंट्स 30 हजार से नीचे चला गया था।

रोज की मांग 300 यूनिट के पार

शहर में दिवाली से पहले हैलट ब्लड बैंक, उर्सला, आईएमए समेत 18 ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की मांग सामान्य मानी जा रही थी। अब रोज की मांग तीन सौ यूनिट पार कर गई है। निजी अस्पतालों में तो 70 हजार के नीचे आते ही प्लेटलेट्स चढ़ाए जा रहे हैं।

हैलट अस्पताल स्थित ब्लड बैंक की हेड प्रो. लुबना खान ने बताया कि डेंगू के साथ ही वायरल और मस्तिष्क ज्वर में भी प्लेटलेट्स की मांग शुरू हो गई है। इसलिए खपत 30 के मुकाबले रोज 50 यूनिट हो गई है।

इस प्रकार हैं लक्षण
डेंगू के लक्षण आमतौर पर डेंगू का लक्षण साधारण बुखार जैसा ही होता है। किशोरों और बच्चों में इसकी आसानी से पहचान नहीं की जा सकती। डेंगू में 104 फॉरेनहाइट तक का बुखार आता है।

सिर दर्द, मांसपेशियों, हड्डियों और जोड़ों में दर्द, जी मिचलाना, उल्टी लगना, आंखों के पीछे दर्द, ग्रंथियों में सूजन, त्वचा पर लाल चकत्ते होना भी इसके लक्षणों में शामिल हैं। GSVM मेडिकल कॉलेज की उप प्राचार्य व मेडिसिन विभाग की हेड प्रो. रिचा गिरि के अनुसार, त्वचा को खुला न छोड़ें।