एक इंजेक्शन ने बचाई 136 की जान:कानपुर में 9 दिन में 125 की हार्ट अटैक से मौत

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(www.arya-tv.com)  कानपुर में ठंड का कहर जानलेवा हो गया है। हार्ट अटैक से 9 दिनों में 125 लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े और बढ़ सकते थे, लेकिन एक इंजेक्शन हार्ट पेशेंट की जान बचा रहा है। टाइम से अस्पताल पहुंचने वालों को तत्काल ये इंजेक्शन डॉक्टर्स दे रहे हैं। 9 दिन में हार्ट अटैक के 136 पेशेंट की जान बच चुकी है। 24 लोगों की ब्रेन अटैक से भी इन नौ दिनों में मौत हो चुकी है।

ये इंजेक्शन बचा रहा है जान
कानपुर में LPS इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर प्रो. विनय कृष्णा के मुताबिक, हार्ट अटैक के बाद 6 घंटे बेहद संवेदनशील होते हैं। Tenectplase इंजेक्शन के जरिए हार्ट पेशेंट के ब्लॉकेज को तत्काल डिजॉल्व कर देता है, इससे पेशेंट की जान बचाने में काफी मदद मिल जाती है। इस इंजेक्शन की डोज पेशेंट के वजन के मुताबिक दी जाती है।

एक इंजेक्शन 24 हजार रुपए का आता है, लेकिन इसे पेशेंट को बिल्कुल फ्री दिया जाता है। जबकि मार्केट में इस इंजेक्शन की कीमत 32 से 50 हजार रुपए तक है। हार्ट अटैक के 6 घंटे के अंदर इसे दिया जाना बेहद अहम है। इसके बाद इंजेक्शन काम नहीं करता है।

54 रोगियों ने अस्पताल में तोड़ा दम
कानपुर में एक जनवरी से 9 जनवरी तक 125 रोगियों की मौत हार्ट अटैक से हुई है। कार्डियोलॉजी प्रबंधन ने जो आंकड़ा जारी किया है, उसके अनुसार 54 रोगियों की मौत अस्पताल में इलाज के दौरान हुई है। मरने वालों में सबसे ज्यादा 28 लोग 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग वाले हैं।

70 पेशेंट अस्पताल ब्रॉट डेड पहुंचे
हार्ट अटैक से 12 मौतें 51 से 60 वर्ष आयु वर्ग वालों की है। इसके अलावा जनवरी में अब तक कार्डियोलॉजी में 70 रोगी ब्रॉट डेड लाए गए। कार्डियोलॉजी के निदेशक प्रोफेसर विनय कृष्णा ने बताया कि ब्रॉट डेड आने वाले रोगियों का पर्चा नहीं बनता है। इससे इनकी आयु, पता समेत कोई ब्योरा दर्ज नहीं होता है। डॉक्टरों का कहना है कि ठंड बढ़ रही है। ब्लड प्रेशर के रोगी एहतियात बरतें।

9 दिन में 6 हजार हार्ट रोगी पहुंचे
शीतलहर के चलते 9 दिनों में शहर और आस-पास के जिलों के 125 हृदय रोगी हार्ट अटैक से दम तोड़ चुके हैं। एक से नौ जनवरी के बीच हृदय रोग संस्थान की ओपीडी और इमरजेंसी में कुल 6 हजार से अधिक पेशेंट समस्या लेकर आए। सोमवार को भी यहां इलाज के दौरान 3 मरीजों की मौत हो गई, जबकि 14 मरीजों की अस्पताल पहुंचने से पहले ही सांसें थम चुकी थीं।

ब्लड प्रेशर हो रहा अनियंत्रित
LPS इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी के डायरेक्टर डॉ. विनय कृष्णा ने बताया कि नॉर्मल दिनों में अगर हार्ट की नसों में 30% ब्लॉकेज है तो ठंड में नसें सिकुड़ने की वजह से वही ब्लॉकेज 60% तक हो जाता है। इस कंडीशन में पेशेंट का एंजाइन और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, ऐसे में हार्ट अटैक के चांसेज दोगुना हो जाते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक के जो रोगी आ रहे हैं, उनका ब्लड प्रेशर अनियंत्रित हो गया था। इसके साथ ही जो डायबिटीज, गुर्दा, लिवर का पुराना रोगी हैं, उनके लिए खतरा अधिक है।