शिवसेना को क्यों डर लग रहा है सुशांत केस में सीबीआई जांच से?

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(www.arya-tv.com)सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले ने शिवसेना को परेशानी में डाल दिया है। जिस तरह सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर शिवसेना का रिएक्शन आया, उससे कई सवाल उठ रहे हैं कि सीबीआई की जांच से सब खुश हैं तो महाराष्ट्र की सत्तासीन पार्टी को उसमें क्या दिक्कत हो रही है। खैर, सुशांत की कथित आत्महत्या को लेकर महाराष्ट्र में सियासी घमासान शुरू हो गया है, यह तय है।
कुछ लोग मराठी माणुस यानी मुंबई पुलिस की क्षमता पर सवाल उठाए जाने को शिवसेना की बौखलाहट से जोड़ रहे हैं। जबकि, बात इससे भी बढ़कर है। सुशांत की मौत को लेकर कई तरह की कहानियां सोशल मीडिया में आईं और जो सबसे ज्यादा चर्चित हुई, उसमें उनकी पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की आत्महत्या से महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बेटे और राज्य के मंत्री आदित्य ठाकरे का गहरा कनेक्शन बताया जा रहा है।

मुंबई में शिवसेना की पॉलिटिक्स को 25 वर्षों से कवर कर रहे वरिष्ठ पत्रकार चंद्रकांत शिंदे का कहना है कि आदित्य ठाकरे का फिल्मी कनेक्शन सबको पता है। यह कोई नई बात नहीं है। वह पहले भी फिल्मी पार्टियों का हिस्सा बनते आए हैं। बॉलीवुड में कई स्टार उनके दोस्त हैं। इससे पहले भी आदित्य का नाम बॉलीवुड की एक एक्ट्रेस के साथ जोड़ा गया था।

यह तो साफ है कि आदित्य का अपना सर्कल है और उसमें फिल्मी सितारे भी हैं। सोशल मीडिया पर चल रही कहानियों में एक पोर्टल इंटरव्यूटाइम्स.नेट पर प्रकाशित कहानी के कुछ तथ्य सच भी साबित हुए हैं। इसमें ही आदित्य ठाकरे के कनेक्शन को मजबूती से स्थापित किया गया है। सुशांत का घर छोड़ने से पहले रिया चक्रवर्ती की महेश भट्ट से हुई बातचीत भी इसी पोर्टल पर सबसे पहले सार्वजनिक हुई थी। अब वायरल पोस्ट इसे सही साबित कर रही हैं।

एक और कहानी यह भी चल रही है कि दिशा सालियान केस से जुड़े कुछ दस्तावेज पुलिस थाने से गुम हो गए हैं। मुंबई पुलिस के बहानों पर किसी को भी यकीन नहीं हो रहा और उंगलियां उस पर ही उठ रही हैं। साफ है कि किसी राजनीतिक दबाव के बिना ऐसा नहीं हुआ होगा।

अब जब जांच सीबीआई के हाथ आ ही गई है तो इस कहानी की सच्चाई भी जल्द ही सामने आएगी, ऐसी उम्मीद है। लेकिन, सवाल है कि महाराष्ट्र की सियासत में क्या हो रहा है? दरअसल, इस मुद्दे पर शिवसेना को सत्ता में सहयोगी पार्टियां एनसीपी और कांग्रेस ने अकेला खड़ा कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर महाराष्ट्र के गौरव की झंडाबरदारी जिस तरह शिवसेना ने की, उतना दमखम कांग्रेस और एनसीपी ने नहीं दिखाया।