देश में तेजी से बढ़ रही है शराब की खपत

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हमारे देश में शराब के विज्ञापन पर रोक है। यही वजह है कि टेलीविजन, अखबार और पत्रिकाओं आदि में इसके पोस्टर या वीडियो प्रचार नहीं आते हैं। यहां तक कि टेलीविजन के धारावाहिकों और फिल्मों में धूम्रपान और शराब के सेवन के दौरान वैधानिक चेतावनी भी दिखाई जाती है।
वहीँ बार (मदिरालय) और रेस्ट्रो-बार की संख्या देश में बढ़ रही है। शराब पीने वालों के पास अब इतने ज्यादा विकल्प हैं कि उन्हें मेन्यू में से अपनी पसंद को चुनना पड़ता है। पिछले दो दशक में बार के मेन्यू में पृष्ठों की संख्या 50 तक पहुंच गई है। इतना ही नहीं बार और रेस्ट्रो-बार में आने वाले लोगों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। शराब खरीदने वालों की उम्र कम (20 वर्ष से कम उम्र के खरीददार) होती जा रही है और खपत बढ़ती जा रही है।

बाजार शोध संस्था यूरोमेंटल इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले 10 वर्षों में भारत में शराब उद्योग कारोबार लगभग दोगुना हुआ है। 20 से 25 वर्षों तक के युवा व्हिस्की और वोदका जैसे अलकोहल का सेवन अधिक कर रहे हैं।

शराब की खपत
भारत में शराब की खपत 2008 में 16,098 लाख लीटर से बढ़कर 2018 में 27,382 लाख लीटर हो गई है। इसमें बीयर और वाइन के आंकड़े शामिल नहीं हैं।

बीयर की खपत
पिछले 10 वर्षों के आंकड़ों के अनुसार, बीयर और वाइन की खपत सबसे अधिक बढ़ी है। साल 2008 में बीयर की खपत 10,000 लाख लीटर थी, जो 2018 में 24,250 लाख लीटर हो गई है। मतलब एक दशक में बीयर की खपत 142 फीसदी बढ़ी है।

वाइन की खपत
बीयर की ही तरह वाइन की खपत भी काफी बढ़ी है। 2008 में जहां भारत में 113 लाख लीटर वाइन की खपत होती थी, वो 2018 में यह बढ़कर 307 लाख लीटर हो गई। बीते 10 सालों में वाइन की खपत में 172 फीसदी की बढ़त हुई है।

वोदका की खपत
भारतीय युवाओं के बीच वोदका काफी प्रसिद्ध है। यही कारण है कि इसकी खपत में 122 फीसदी का इजाफा हुआ है। साल 2008 में भारत में 362 लाख लीटर वोदका की खपत हुई थी, जबकि 2018 में यह आंकड़ा 803 लाख लीटर हो गया। यानी एक दशक में वोदका की खपत में 122 फीसदी का इजाफा हुआ है।

ब्रांडी की खपत
बीयर, वाइन और वोदका के मुकाबले ब्रांडी की खपत में इजाफा अन्य के मुकाबले कम हुआ है। 2008 में जहां 2,930 लाख लीटर ब्रांडी की खपत हुई थी, वहीं 2018 में 5,650 लाख लीटर की खपत हुई है। इसमें 92 फीसदी का इजाफा हुआ है।

व्हिस्की की खपत
भारत में व्हिस्की काफी पसंद की जाती है लेकिन पिछले 10 सालों के आंकड़ों पर जाएं तो बीयर, वाइन, वोदका और ब्रांडी की खपत व्हिस्की से ज्यादा बढ़ी है। 2008 में भारत में 9,190 लाख लीटर व्हिस्की की खपत हुई थी, जो 2018 में 16,790 लाख लीटर हुई। एक दशक में इसमें 83 फीसदी की वृद्धि हुई है।

रम की खपत
रम की खपत की बात करें, तो इसमें ज्यादा अंतर नहीं आया है। एक दशक में रम की खपत 17 फीसदी बढ़ी है। 2008 में जहां 3,310 लीटर रम की खपत हुई थी, वहीं 2018 में रम की खपत 3,880 लीटर पर पहुंची।

जिन की खपत
एक ओर जहां बीयर, वाइन, व्हिस्की, रम और वोदका की खपत बढ़ी है, वहीं जिन मात्र ऐसा अलकोहल पेय है, जिसकी खपत घटी है। 2008 में भारत में 304 लाख लीटर जिन की खपत हुई थी, जो 2018 में घटकर 249 लाख लीटर हो गई। इसमें 18 फीसदी की गिरावट आई है।