नूंह में कल हुई घटना दंगा नहीं था !

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ये नलहड़ महादेव मंदिर में सैंकड़ों महिलाओं और बच्चों सहित हजारों हिन्दुओं के नरसंहार की साजिश थी।

सोशल मीडिया पर एक व्यक्ति ने जो वहां परिवार सहित था। पूरी घटना आंखों से देखी है। जब वह मंदिर में जा रहे थे तब नूंह शहर में मुसलमान सड़कों के आसपास झुंड में बैठे थे। दुकानों के अंदर से गाड़ियों को एक अजीब मुस्कान के साथ देख रहे थे। मैं उनकी आखों को पढ़ रहा था। एक अनजानी घटना पढ़ पा रहा था।

नूंह शहर में और रास्ते में पुलिस बल की संख्या अत्यन्त कम थी। जो इक्का दुक्का पुलिस के भाई थे वो भी खाली हाथ अथवा सिर्फ लाठी लेकर थे। किसी के पास बंदूक शायद ही होगी। मंदिर के अंदर कोई भी पुलिस बल नहीं था। शायद प्रशासन को भी इस प्रकार के हमले की आशंका नहीं थी।

मंदिर परिसर में वातावरण अत्यंत भक्ति एवं उत्साहपूर्ण था। चारों तरफ नलहड महादेव की जय जयकार हो रही थी। श्रद्धालु जब दर्शन करके वापस लौट रहे थे तब कुछ श्रद्धालुओं की गाड़ियों को मुसलमानों ने रोककर जला दिया। उनमें बैठे श्रद्धालुओं का क्या हुआ किसी को नहीं पता।

सभी अपनी बसों की तरह वापस लौट रहे थे तभी गाड़ियों के जलने का धुआं दूर से दिखाई दिया।

पुलिस वालों ने सभी को वापस मंदिर में वापस जाने के लिए कहा। हम चार पुरुष और लगभग पचास महिलाएं साथ थे। महिलाओं को पूरी बात बताने से स्थिति खराब हो सकती थी। मैने और अन्य भाइयों ने महिलाओं को बताया कि आगे जाम लगा हुआ है। पुलिस प्रशासन मंदिर में ही बसों को भेजेगा। सभी वापस मंदिर में आ गए।
हम सभी ने अपने संपर्कों को फोन कर ऊपर प्रशासन तक पूरी खबर पहुंचाने के लिए कहा। क्योंकि घटना स्थल की सही स्थिति की जानकारी वहां फंसे लोग ही दे सकते हैं।

हरियाणा की बीजेपी सरकार और पुलिस प्रशासन तुरंत एक्टिव हो गया। हमें जानकारी मिली कि आसपास के जिलों से भारी संख्या में पुलिस बल घटना स्थल पर पहुंचने के लिए निकल चुका है। रास्ते में मुसलमानों द्वारा जगह जगह आग लगाकर रास्ता बंद किया हुआ था। पुलिस बल पर भारी मात्रा में पथराव हुआ और गोलियां भी चलाई गई। दो या उससे ज्यादा पुलिस के बन्धु इसी क्रम में बलिदानी हो गए और कई घायल हो गए। आज उनके परिवारों के बारे में सोचकर मन दुखी हो रहा है।

मुसलमानों की हजारों की भीड़ मंदिर के बाहर तक आ गई। बाहर खड़ी लगभग सौ गाड़ियां उन दंगाइयों ने जला दी। तब तक अन्दर लगभग दस पुलिस के नौजवान अंदर आ गए थे।

आसपास की पहाड़ियों पर सैंकड़ों मुसलमान जगह जगह झुंड बनाकर घेरकर मोर्चा जमा लिए थे। उनके पास भारी संख्या में बंदूकें और पिस्टल थी। कुछ के पास स्वचालित हथियार भी थे। वो लगातार गोलियां चलाते हुए पहाड़ी से नीचे उतर रहे थे। उनके पास पेट्रोल बम और देसी बम भी थे।

मंदिर के अंदर के सिर्फ दस पुलिस के जवानों जिसमे एक महिला अफसर भी थी उन्होंने मुसलमानों से डटकर मोर्चा लिया। लगभग बीस मिनट के बाद वहां और पुलिस बल आ गया। अगर पांच मिनट की देरी और हो जाती तो मंदिर के अंदर के सभी श्रद्धालुओं का सामूहिक नरसंहार कर दिया जाता।

पुलिस के भारी बल के बीच पहले महिलाओं और फिर पुरुषों को निकालकर पुलिस लाईन लाया गया। पुलिस लाइन आते समय भी रास्ते में छतों पर और सड़क के किनारे मुसलमानों के झुंड खड़े थे। वे इशारों से धमकी दे रहे थे। कईयों के हाथ में पत्थर भी थे। अगर पुलिस बल साथ ना होता तो वापसी में भी श्रद्धालुओं पर हमला होता।
पुलिस लाईन से सभी को बसों में बैठाकर कई गाड़ियों को पुलिस की गाड़ियों के बीच में रखकर नूंह क्षेत्र से बाहर निकाला गया।

बीजेपी की खट्टर सरकार और पुलिस प्रशासन के कारण ही सैंकड़ों महिलाओं और बच्चों सहित हजारों श्रद्धालुओं का नरसंहार होने से रुक सका। अन्यथा आज हरियाणा के हर गांव शहर में मातम होता। कई घर उजड़ जाते। किसी अन्य दल की सरकार होती तो मुस्लिम वोट बैंक के चक्कर में इतनी जल्दी सरकार एक्टिव नहीं होती। मुसलमानों को खुलकर हिंसा करने की छूट मिल जाती।

अब सरकार को हरियाणा के मिनी पाकिस्तान मेवात क्षेत्र पर नकेल कसनी चाहिए। वहां की सभी अवैध गतिविधियों की जांच होनी चाहिए। वहां इतना असला किस प्रकार जमा हुआ है यह भी देखना चाहिए। मुसलमानों के पास विदेशी हथियार किस प्रकार आए उसकी भी जांच होनी चाहिए। क्या इन लोगों की किसी आतंकी संगठन से भी सांठ गांठ है? क्या ISIS या कोई अन्य आतंकी संगठन मेवात क्षेत्र में सक्रिय है इसकी भी जांच होनी चाहिए।