(www.arya-tv.com) लोकसभा में मंगलवार को महिला आरक्षण बिल पेश कर दिया गया। इस बिल के तहत महिलाओं के लिए लोकसभा और विधानसभा में 33 फीसदी सीटें आरक्षित रहेंगी। बिल के लिए विपक्षी दलों से भी समर्थन के सुर सुनाई पड़ रहे हैं। ऐसे में इसका संसद के दोनों सदनों से पास होना तय माना जा रहा है। अगर यह बिल पास हो जाता है तो इससे देश और प्रदेश की राजनीति ही बदल जाएगी।
लोक प्रतिनिधित्व के प्रतिष्ठानों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी, जो फिलहाल काफी चिंताजनक स्तर पर है। उत्तर प्रदेश में इसका व्यापक असर देखने को मिल सकता है क्योंकि 33 फीसदी आरक्षण के बाद यहां की विधानसभा की तस्वीर एकदम बदल जाएगी।
अभी क्या है महिला प्रतिनिधित्व का हाल
उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 और लोकसभा की 80 सीटें हैं। मौजूदा समय की बात करें तो 403 विधायकों में सिर्फ 48 महिलाएं हैं। यह कुल संख्या का केवल 12 फीसदी बैठता है। विधान परिषद में तो हालात और खराब हैं। वहां सिर्फ 6 फीसदी महिलाओं की भागीदारी है। 80 लोकसभा सीटों में सिर्फ 11 सांसद महिलाएं हैं।
यानी कि लोकसभा में यूपी से सिर्फ 14 फीसदी महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। पूरे देश की बात करें तो अभी लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी 15 फीसदी से कम और राज्य विधानसभाओं में 10 फीसदी से कम है।
आरक्षण के बाद बदल जाएगी सदन की तस्वीर
ऐसे में अगर महिला आरक्षण बिल सदन में पास हो जाता है तो फिर निश्चित तौर पर ये आंकड़े बदलेंगे और विधानसभा तथा लोकसभा में ‘आधी आबादी’ की संख्या में इजाफा होगा। आरक्षण लागू होने के बाद उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में 26 सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। वहीं, विधानसभा की 403 सीटों में से 132 सीटों पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व रहेगा, जो मौजूदा संख्या से काफी ज्यादा है।
क्या है आरक्षण बिल में
लोकसभा में पेश महिला आरक्षण बिल में महिलाओं के लिए सभी सदनो में 33 फीसदी यानी कि एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा, एससी-एसटी और ऐंग्लो इंडियन्स के लिए 33 फीसदी उप-आरक्षण का भी प्रस्ताव रखा गया है। हर चुनाव में आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाएगा। यह व्यवस्था 15 सालों के लिए लागू रहेगी और इसके बाद आरक्षण की व्यवस्था समाप्त हो जाएगी।