भारत के सामने क्यों बेबस अमेरिका: रूस से तेल भी लिया और हथियार भी

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(www.arya-tv.com)  24 फरवरी को यूक्रेन पर रूसी हमले के बाद पश्चिमी देशों ने उसकी घेराबंदी के लिए ताबड़तोड़ प्रतिबंधों का ऐलान किया। भारत को भी चेतावनी दी गई कि अगर नई दिल्ली मॉस्को से ऑयल खरीदता है तो नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। जंग शुरू हुए चार महीने से ज्यादा हो गए हैं, थमने की उम्मीद भी नजर नहीं आती। ऐसे में अमेरिका और उसके सहयोगियों के सुर बदले बदले नजर आते हैं।

इस हफ्ते न सिर्फ G-7 समिट के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इनवाइट किया गया, बल्कि यह भी कहा गया कि भारत को कोई पक्ष चुनने की जरूरत नहीं है। पश्चिमी देशों के बदले रुख से पता चलता है कि भारत ने अपनी जियो पॉलिटिकल स्थिति को किस तरह भुनाया है।

भारत हमेशा खुद को गरीब देशों की आवाज के रूप में पेश करता रहा है। भारत का तर्क है कि पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों ने विकासशील देशों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है। साथ ही बढ़ती महंगाई को काबू करने के लिए रूस से क्रूड ऑयल खरीदने का बचाव किया।

ऊर्जा पर अमीरों का विशेषाधिकार नहीं
जर्मनी में G-7 देशों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा- आप सब भी इस बात से सहमत होंगे कि ऊर्जा का उपयोग केवल अमीरों का ही विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए – एक गरीब परिवार का भी ऊर्जा पर समान अधिकार है। आज जब जियो पॉलिटिकल तनावों की वजह से तेल की कीमतें आसमान छू रही हैं, तो इस बात को ध्यान रखना और ज्यादा जरूरी हो जाता है।

अब अमेरिका रूस के खिलाफ वैश्विक दबाव बढ़ाना चाहता है, वह भारत जैसे सहयोगियों को अलग करने का जोखिम भी नहीं उठा सकता है। उसे चीन जैसे मुद्दों पर काउंटरवेट के रूप में भारत जैसा सहयोगी चाहिए।

अमेरिका भारत को रूस से दूर नहीं करना चाहता
G7 सम्मेलन से पहले, अमेरिकन नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के कोऑर्डिनेटर जॉन किर्बी ने भारत को “इंडो-पैसिफिक में एक प्रमुख स्ट्रैटजिक पार्टनर” बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत को रूस से दूर नहीं करना चाहता है।

चीन दुनिया भर में अपनी पकड़ को मजबूत करने के लिए ‘वन बेल्ट एंड वन रोड इनीशिएटिव’ का जाल फैला रहा है। अमेरिका ने इसके जवाब में 60 अरब रुपए के इंटरनेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम की बात कही है। अमेरिका राष्ट्रपति का कहना है कि भारत इस प्रोग्राम के पहले लाभार्थियों में से होगा।

अमेरिका का आर्किटेक्चर भारत के बिना मुमकिन नहीं
कंसल्टेंसी कंट्रोल रिस्क के डाइरेक्टर प्रत्युष राव का कहना है कि अमेरिका इंडो-पैसिफिक में जिस तरह का आर्किटेक्चर बनाना चाहता है वह भारत के बिना मुमकिन नहीं है। यही वजह है कि मार्च में बाइडेन की रूस से ऑयल न खरीदने की अपील के बाद भी भारत ने अपने आयत को दोगुना कर दिया। साथ ही बड़े पैमाने पर हथियार की खरीद भी की।

भारत ने ग्लोबल मार्केट की कीमतों से 30% कम कीमत पर रूस से 7.6 करोड़ बैरल क्रूड ऑयल खरीदा है। भारत अपनी गरीब आबादी को महंगाई से राहत की बात कह इस डील का बचाव कर रहा है। भारत के पेट्रोलियम मंत्री, हरदीप सिंह पुरी कहना है कि हम अभी तक एक महामारी से उबर नहीं पाए हैं। इसके बाद भी लाखों लोगों को मुफ्त सुविधाएं दे रहे हैं और वैक्सीनेशन पर भी सब्सिडी दे रहे हैं। हमें अपने हितों का ध्यान रखना होगा।