जन्म से अंधी कोमल को जब मिली सरकारी नौकरी…आंखों से छलक पड़े आंसू,पढ़ें संघर्षों की कहानी !

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(www.arya-tv.com)  किसी भी एग्जाम की तैयारी करते वक्त अगर बार-बार आपके हाथ असफलता लग रही हो और उस असफलता से आप के हौसले डगमगाने लगे तो, आपको एक बार कमल की कहानी जरूर जानना चाहिए. शायद आपको हिम्मत मिलेगी, 25 साल की कोमल घई दिल्ली आदर्श नगर कीरहने वाली है और उन्हें भारत सरकार की तरफ से आगरा सूरसदन में आयोजित दसवें रोजगार मेले में नियुक्ति पत्र मिला तो कोमल की आंखें नम हो गई. कोमल को आगरा रेलवे डीआरएम ऑफिस में जूनियर क्लर्क कम टाइपिस्ट की नौकरी मिली है.

अब आप सोच रहे होंगे कि जूनियर क्लर्क की नौकरी हासिल करने में कौन सी बड़ी बात है ? तो सुनिए आगे की कहानी. जब कोमल पैदा हुई तो पैदा होते ही उसकी मां का साया उसके ऊपर से हट गया. जैसे ही कोमल बड़ी हुई तो पता चला कि कोमल की आंखों की नसें दबी हुई है और वह कभी देख नहीं पाएंगी. उनके पिता बेहद गरीब थे और ऑटो चलाते. कोमल का लालन पालन उनकी नानी और मौसी ने किया.

जब कोमल के ऊपर से उठा पिता का साया
कोमल घई का इलाज कराते-कराते उनके पिता राकेश कुमार खुद बीमार रहने लगे. कोमल के ऊपर दुखों का पहाड़ उस वक्त टूटा जब उनके पिता भी कोमल को इस दुनिया में अकेला छोड़कर चले गए. जब कोमल महज 9 साल की थी तब हमेशा के लिए मां के बाद उसके पिता का भी साया उसकेसिर से हट गया. कोमल अब इस दुनिया में पूरी तरीके से अनाथ थी. आगे की पढ़ाई के लिए उसे हॉस्टल में शरण लेनी पड़ी. यही से उन्हें स्कूलिंग और M.A हिंदी से पोस्ट ग्रेजुएशन किया. क्योंकि कोमल जन्म से दिव्यांग थी और देख नहीं सकती थी. इसलिए उन्होंने ब्रायन लिपि से पढ़ाई की. इस दौरान कई बार में डिमोटिवेट हुई. कई लोग उनकी इस डिसेबिलिटी का मजाक भी उड़ाते थे. उनकी चाची और अन्य रिश्तेदार उनसे अक्सर कहते थे कि यह लड़की कुछ नहीं कर पाएगी

जब नौकरी मिली तो सच हुए सपने
कठिन दौर से गुजरते हुए कभी भी कोमल ने हार नहीं मानी. अपनी इस डिसेबिलिटी को उसने अपना हथियार बनाया. यूट्यूब से ऑनलाइन पढ़ाई की. लगातार मेहनत करती रही. 2017 से तैयारी में जुड़ गई.उनका लक्ष्यसरकारी नौकरी हासिल करना था. 6 साल की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने आखिरकार अपने सपने को सच कर दिखाया.जब रेलवे में जूनियर क्लर्क कम टाइपिस्ट लेवल 2 के पद पर आगरा DRM ऑफिस में कार्यभार संभाला.

मेहनत करने से सपना होते हैं साकार
कोमल कहती है कि मेहनत से सारे सपने साकार होते हैं.अगर वह भी अपनी इस जिंदगी को बोझ समझकर बैठी रहती है तो आज शायद उनकी जिंदगी नर्क जैसी होती. अपनी इस डिसेबिलिटी को कभी भी अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया और उन्होंने अपना सपना सच कर दिखाया. इसके साथ उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी धन्यवाद ज्ञापन किया. जिनकी बदौलत आज उन्हें सरकारी नौकरी मिली है.