कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का स्‍वागत, जानिए क्या बोले यूपी के किसान नेता

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मेरठ (www.arya-tv.com) प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज कार्तिक पूर्णिमा पर शुक्रवार को बड़ी घोषणा करते तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की है। यह एक बड़ा ऐलान है क्‍योंकि वेस्‍ट यूपी सहित देशभर में किसान तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे थे। अब तीनों कानूनों की वापसी के बाद बागपत में किसान यूनियन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष चौधरी ब्रजपाल सिंह का कहना है कि वह सरकार के फैसले का स्वागत करते है, यह घोषणा सरकार को पहले ही कर देनी चाहिए थी।

हक के लिए संघर्ष होता रहेगा

सरकार का यह कदम किसान हित में है। केंद्र सरकार को अभी एसएसपी पर विचार करना चाहिए। ताकि किसानों को राहत मिल सके और फसलों का वाजिब दाम मिल सके। उन्‍होंने पीएम के इस कदम को राहत देने वाला बताया। वहीं शामली में भाकियू जिलाध्यक्ष कपिल ख़ाटियान ने कहा कि एक साल आंदोलन को होने वाला था। आंदोलन में काफी किसानों की शहादत भी हुई। किसान मान सम्मान और हक के लिए संघर्ष करते रहे।

घोषणा पहले ही कर देनी चाहिए थी

सरकार को काले कानून वापस लेने पर मजबूर होना पड़ा। यह किसानों की बहुत बड़ी जीत है। वहीं बागपत में बड़ौली गांव के रहने वाले किसान नेता ओम प्रकाश फौजी का कहना है कि प्रधानमंत्री को यह घोषणा पहले कर देनी चाहिए थी तो किसान इतना लंबा आंदोलन न करते। प्रधानमंत्री का यह कदम स्वागत योग्य है, लेकिन अभी भी जो किसानों की मांगे हैं उन पर प्रधानमंत्री को समय रहते विचार करना चाहिए, ताकि किसानों को राहत मिल सके।

किसानों में दीपावली जैसा हर्ष

बागपत : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कृषि कानून वापस लेने का ऐलान से किसानों में दीपावली जैसी खुशी है।किसानों ने इसे प्रधानमंत्री का ऐतिहासिक कदम बताते हुए किसानों की जीत बताया है। किसान मजदूर संगठन के जिला अध्यक्ष अनु मलिक ने कहा कि तीनों कृषि कानून वापस होना किसानों की एकता की जीत है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने जन भावनाओं के अनुरूप कदम उठाया है जिसका हम स्वागत करते हैं। इस फैसले का सरकार के प्रति सकारात्मक संदेश जाएगा। यदि तीनों कृषि कानून लागू हो जाते तो किसानों की बर्बादी होती लेकिन अब ऐसी बर्बादी होने से बच जाएगी।

किसानों के दबाव में निर्णय

वहीं किसान नेता कालूराम ने कहा कि प्रधानमंत्री की घोषणा स्वागत योग्य है। हालांकि सरकार ने यह फैसला किसानों के दबाव में लिया है। सरूरपुर कला के सुभाष ने कृषि कानून वापस होने पर खुशी का इजहार करते हुए कहा कि यदि यूपी में विधानसभा चुनाव नहीं होते तो यह कानून एबी वापस नहीं होने वाले थे। जिस तरह से किसानों ने 1 साल तक संघर्ष किया है उसी का परिणाम है कि सरकार को झुकना पड़ा। भाकियू नेता इंद्रपाल चौधरी ने कहा कि देर से ही सही लेकिन सरकार के समझ में आ गया कि किसानों को दबाया नहीं जा सकता इसलिए तीनों कृषि कानून वापस लेने पड़े।

फिर भी हम प्रधानमंत्री के कदम का स्वागत करते हैं। वहीं सिलाना गांव की सुनीता और मीतली गांव के ठाकुर तेजपाल सिंह समेत अनेक किसानों ने कृषि कानून वापस लेने पर प्रधानमंत्री के फैसले का स्वागत किया है। वहीं बागपत के जौहड़ी गांव के सोहनपाल सिंह का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानून वापस लेकर न केवल किसानों के हित में यह फैसला लिया है। बल्कि किसानों का मान सम्मान भी रखा है उन्हें पूरी उम्मीद है कि प्रधानमंत्री आने वाले समय मे किसानों के हित में और भी फैसले लेंगे।

मेरठ के कहा-एमएसपी पर जारी रहेगी लड़ाई

मेरठ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह तीनों कृषि कानूनों के वापसी की घोषणा कर दी है। इसको लेकर मेरठ जिले के तमाम किसान संगठनों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। मुख्य रूप से भारतीय किसान यूनियन ने कहा है कि संसद में कृषि कानूनों को रद्​द करने के बाद ही उनका आंदोलन समाप्त होगा। एमएसपी कानून लागू होने की मांग भी जारी रहेगी। वहीं, अन्य किसान संगठनों ने इस घोषणा का स्वागत किया है। उन्होंने प्रधानमंत्री को बधाई का पात्र बताया है।

मुख्य किसान संगठनों की प्रतिक्रिया

चुनावी मौसम में सरकार ने तीनों कृषि कानूनों की घोषणा की है। लेकिन संसद में रद्​द करने तक हमारा आंदोलन जारी रहेगा। एमएसपी कानून लागू करने की मांग भी जारी रहेगी। यह घोषणा किसानों की जीत है।

– मनोज त्यागी, जिलाध्यक्ष, भारतीय किसान यूनियन

प्रधानमंत्री के द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस करने की घोषणा का हम स्वागत करते हैं। पिछले एक साल से देश का किसान प्रमुख मांगों के साथ सड़कों पर बैठा है। आज प्रधानमंत्री द्वारा इसमें से केवल एक मांग को मानने की घोषणा की है। बाकि, अन्य मांगों पर प्रधानमंत्री कुछ नहीं कह पाए। एमएसपी की गारंटी, किसानों के जीवन को सीधे तौर पर प्रभावित करती है। इसी के ऊपर प्रधानमंत्री का कुछ न बोलना निराशाजनक है। लगता है कि किसानों को अपना संघर्ष अभी जारी रखना पड़ेगा।

– मनीष भारती, प्रदेशाध्यक्ष, जय किसान आंदोलन

किसानों के हित में एक साल तक चले किसान आंदोलन की यह जीत है। देश के किसान व किसान संगठनों का संघर्ष ऐतिहासिक रहा है। किसान आंदोलन में शहीद हुए किसानों को श्रृद्धांजलि है। तीनों कृषि कानूनों के वापसी की घोषणा पर प्रधानमंत्री को बधाई प्रेषित करेंगे।

– कुलदीप त्यागी, अध्यक्ष, भारतीय किसान आंदोलन

तीनों कृषि कानूनों की वापसी किसानों की जीत है। प्रधानमंत्री को देरी से अक्ल आई, देर से आए लेकिन दुरूस्त आए। यह उन सभी किसानों, संगठनों व जनमानस की जीत है, जिन्होंने तीनों कृषि कानूनों के विरोध में लगातार संघर्ष किया।

– ठाकुर पूरन सिंह, राष्ट्रीय अध्यक्ष, किसान मजदूर संगठन

किसानों के आगे झुकना पड़ा

प्रधानमंत्री द्वारा तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किए जाने के बाद सहारनपुर के रामपुर मनिहारान

में भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता पूर्व मंडल महासचिव चौधरी जगपाल सिंह ने कहा यह किसानों की एकजुटता की जीत है। केंद्र सरकार को किसानों के आगे झुकना पड़ा है। केंद्र सरकार में बैठे मंत्री व प्रधानमंत्री समझ चुके हैं कि किसानों द्वारा एक वर्ष से अधिक से जो तीनों कृषि कानून के खिलाफ धरना दिया जा रहा था किसानों की बात और मांग जायज थी, किसानों की बातों को समझने के बाद ही कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की गई है यह किसानों की बड़ी जीत है

किसानों का नेतृत्व करने वाले भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत व प्रवक्ता चौधरी राकेश टिकैत के नेतृत्व में ही किसानों को यह जीत मिली है। चौधरी जगपाल सिंह ने तीनों कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे धरने के दौरान शहीद हुए किसानों को भी श्रद्धांजलि दी।