(www.arya-tv.com) हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद कानपुर के ब्रह्मनगर में रहने वाले कारोबारी जय बाजपेई को देर रात पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उस पर विकास को कारतूस सप्लाई करने की पुष्टि हुई है। इसके साथ ही मुठभेड़ में मारे जा चुके बउवन के जीजा डब्बू को भी दबोच लिया गया। दोनों के खिलाफ षड्यंत्र रचने और आर्म्स एक्ट की धारा में एफआईआर दर्ज की गई है। सोमवार को कोर्ट में पेश करने के बाद इन्हें जेल भेजा जाएगा। पुलिस जय को हिरासत में लेकर कई दिनों से पूछताछ कर रही थी।
कुछ ही महीनों में बना अरबपति :
चंद वर्षों में चार हजार रुपए की नौकरी से अरबपति बने जयकांत की संपत्तियों, बैंक खातों और नकद लेन-देन की जांच आयकर विभाग की बेनामी विंग (शाखा) और आयकर निदेशालय (जांच) ने शुरू कर दी है। अभी तक जय के दो और उसकी पत्नी के एक खाते को जांच के दायरे में लिया गया है। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया और विजया बैंक के खातों के अलावा बेनामी अकाउंट्स की भी जांच की जा रही है। इसके तहत उसके भाई रजय बाजपेई और परिवार के खातों को भी खंगाला जाएगा। जय से कारोबारी लेन-देन करने वाले 7 और लोगों को भी जांच के दायरे में लाया गया है। इन सभी का जयकांत बाजपेई के साथ नियमित लेन-देन था। यह बैंक खातों के अलावा नकदी का भी उपयोग किया जाता था।
बेनामी खातों की तलाश शुरू
विदेशों में संपत्ति की जड़ें तलाश रही टीम को इस बात का अंदेशा है कि यह सौदा बेनामी खातों और हवाला नेटवर्क के जरिए किया गया है। आयकर टीम उन खातों और हवाला रैकेट तक पहुंचने की कोशिश करेगी। विदेशी संपत्तियों की छानबीन में छोटा सा सुराग हाथ लगते ही फेमा के तहत कारवाई की तैयारी भी की जा रही है। विभाग इस बात की जांच कर रहा है कि विदेशों में यदि संपत्ति खरीदी गई तो पैसे कैसे ट्रांसफर किए गए। संपत्ति खरीद में लेन-देन के स्रोत तलाशे जाएंगे। अभी तक जय के बैंक खातों से इस बात के प्रमाण नहीं मिले हैं कि पैसे विदेशों में भेजे गए हों। अधिकारियों को संदेह है कि विदेशों में पैसा खपाने के लिए हवाला रैकेट का इस्तेमाल किया गया है।
आय के स्रोत की जांच होगी
कानपुर में खरीदी गई सम्पतियों के स्रोत क्या हैं, इसकी जांच अलग टीम कर सकती है। साथ ही 50 हजार रुपए सालाना कमाने वाला व्यक्ति 7 साल में 12 लाख का आईटीआर कैसे भरने लगा, इसे भी जांच में शामिल किया गया है। आयकर विभाग उन जांच रिपोर्टों पर भी गौर कर सकता है जो स्थानीय प्रशासन की ओर से बीच में कराई गई थी।