उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने छात्रों का मनोबल बढ़ाते हुये दिये कुछ टिप्स

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(www.arya-tv.com) हर वर्ष बड़ी संख्या में कोटा में नीट और जेईई की तैयारी करने स्टूडेंट्स जाते हैं। हालांकि, कठिन एग्जाम होने के चलते बहुत ही कम स्टूडेंट्स सफल होते हैं। ऐसे में कई छात्र असफलता से टूट जाते हैं और आत्महत्या जैसे कदम उठा लेते हैं। इस वर्ष भी नीट और जेईई रिजल्ट के बाद कई स्टूडेंट्स ने आत्महत्या कर ली थी।

जिसके बाद यह मुद्दा पूरे देश में गरमा गया। कोटा में छात्रों की आत्महत्या को रोका जा सके, इसके लिए वहां के हॉस्टल के पंखों में स्प्रिंग लगा दी गई। ताकि स्टूडेंट्स अगर इस तरह का कदम उठाए तो पंखा गिर जाए। वहीं, अब उपराष्ट्रपति जगदीप धनकड़ ने यहां कोचिंग कर रहे छात्रों से बड़ी अपील की और टिप्स भी दिए।

आप क्या करते हैं इसका अधिकार किसी को न दें

उपराष्ट्रपति ने मंगलवार को यहां के कोचिंग छात्रों के छात्रों से बातचीत की और कहा कि उन्हें असफलता से नहीं डरना चाहिए क्योंकि दुनिया में कोई भी महान काम एक प्रयास में नहीं हुआ है। उन्होंने छात्रों को यह भी सलाह दी कि वे किसी को भी अपनी कार्यप्रणाली तय करने की अनुमति न दें और नदी की तरह व्यवहार करें। जैसे एक नदी लाखों लोगों की सेवा करती है।

परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के दबाव में न आएं

उपराष्ट्रपति ने चंद्रयान-2 की विफलता और चंद्रयान-3 की सफलता का जिक्र करते हुए छात्रों से अपनी रुचि और योग्यता के अनुसार जीवन में करियर चुनने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा कि आपको जो करना है अपने हिसाब से करें। परिवार, दोस्तों और पड़ोसियों के दबाव में ना आएं।

बिल गेट्स जैसे शाख्सियतों का दिए उदाहरण

उपराष्ट्रपति ने स्टीव जॉब्स, बिल गेट्स और पॉल एलन जैसे बिजनेस टाइकून का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि डिग्री कि अहमियत है, लेकिन इन शाख्सियतों ने कॉलेज छोड़कर भी दुनिया में वो मुकाम हासिल किया, जिसका सपना वे देखते थे।

नहर नहीं नदी बनें

उपराष्ट्रपति ने कहा, “नहर की तरह नहीं बल्कि नदी की तरह व्यवहार करें। क्योंकि नदियां बड़े पैमाने पर समाज की सेवा करती है और सभ्यताएं नदियों के चारों ओर विकसित होती हैं।”

उपराष्ट्रपति ने छात्रों को खुद का भी दिया उदाहरण

छात्रों से बातचीत के दौरान उपराष्ट्रपति ने कहा, “प्रिय छात्रों, ऐतिहासिक रूप से पृथ्वी ग्रह पर कभी स्वर्ग नहीं गिरा… मैं कक्षा में अव्वल था, अगर मैं दूसरे स्थान पर होता तो क्या होता, कुछ नहीं।”