इलाहाबाद HC ने रिटायर्ड जज को सुविधाएं देने के आदेश की अवहेलना पर जारी किया वारंट

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(www.arya-tv.com) इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों को सुविधाएं देने संबंधी आदेश की अवहेलना पर वित्त विभाग के सचिव एसएमए रिजवी व विशेष सचिव सरयूप्रसाद मिश्र को न्यायिक अभिरक्षा में लेने का आदेश दे दिया। दोनों को अवमानना के आरोप में गुरुवार को 11 बजे कोर्ट में पेश होने को कहा। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद की खंडपीठ ने रिटायर्ड जजेज एसोसिएशन की याचिका पर दिया। गुरुवार को इस आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। यूपी सरकार को स्टे मिला है।

डबल बेंच ने पूछा, क्यों न अवमानना आरोप तय हो
हाईकोर्ट की डबल बेंच ने पूछा था कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना आरोप तय किया जाए। आदेश के बाद अपर महाधिवक्ता ने अधिकारियों को जमानत पर रिहा करने का अनुरोध किया। रिटायर्ड जजेज एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए HC कोर्ट ने कहा कि दोनों अफसरों ने झूठा हलफनामा दाखिल कर गुमराह किया है। आदेश का पालन नहीं करने पर अधिकारी बिना किसी वैध वजह के अड़े हैं, जोकि अवमानना है।

जज ने कहा कि अफसरों ने कोर्ट से अपना पिछला आदेश वापस लेने की अर्जी दी है। आदेश का कौन-सा हिस्सा वापस लेना है, यह स्पष्ट नहीं है। कोर्ट के अनुसार अफसरों ने कहा कि 2018 के शासनादेश को संशोधित करने पर कोई आपत्ति नहीं है। उन्होंने अनुच्छेद 229 का मुद्दा उठाया। जो याचिका में नहीं है। यह भी कहा कि मुख्य सचिव ने 13 अप्रैल को बैठक की थी। विधि विभाग ने अनुच्छेद 229 में 6 अप्रैल 23 के संशोधन का प्रस्ताव भेजा है। जिसका अनुमोदन नहीं किया गया है।

HC में सचिव समेत अधिकारी हाजिर नहीं हुए

हाईकोर्ट ने पहले भी निर्देश दिया था कि रिटायर्ड जजों के घरेलू नौकर समेत अन्य सुविधाएं बढ़ाने के मामले में चीफ जस्टिस के प्रस्तावित नियम को तत्काल अमल में लाए। इस प्रस्ताव पर विभाग हफ्तेभर में अनुमोदन आदेश पर का पालन नहीं किया। बुधवार काे वित्त विभाग सचिव समेत दोनों अधिकारी हाजिर नहीं हुए । उनकी जगह एलपी मिश्रा ने प्रतिवाद किया। इस पर तल्खी और बढ़ गई। कोर्ट ने 3 बजे वित्त विभाग के तीनों शीर्ष अधिकारियों को न्यायिक अभिरक्षा में भेजने का आदेश दिया।

HC के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने चैलेंज किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल की गई। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश द्वारा अनुमोदित-नियमावली को अधिसूचित करने का आदेश चार अप्रैल को राज्य सरकार को दिया था। राज्य सरकार ने इस नियमावली को अधिसूचित नहीं किया है।

वित्त विभाग इस नियमावली को अधिसूचित करने के पक्ष में नहीं है। विभागीय जानकारों का कहना है कि हाई कोर्ट की ओर से भेजी गई यह नियमावली मुख्य न्यायाधीश के अधिकार क्षेत्र से बाहर है। इसके पीछे वजह यह है कि उसकी विषयवस्तु सेवानिवृत्त जजों से संबंधित है। साथ ही मामला संविधान के अनुच्छेद-229 के दायरे में नहीं आता है।

हाई कोर्ट की ओर से चार अप्रैल को पारित आदेश को लेकर शासन ने कोर्ट के समक्ष रीकाल एप्लीकेशन दी थी, जिसमें उक्त आदेश को वापस लेने का अनुरोध किया था। कोर्ट ने इसे अपने आदेश की अवहेलना मानते हुए दोनों अधिकारियों को न्यायिक अभिरक्षा में लेने का आदेश दे दिया।