बहराइच (www.arya-tv.com) कविता में प्रयोगधर्मिता कोई नई बात नहीं, पर इसकी बदौलत रिकार्ड बुक में नाम दर्ज करा लेना सहज भी नहीं। सबसे छोटी गजल लिखकर डॉ. अशोक पांडेय ‘गुलशन’ ने एशिया बुक ऑफ रिकार्ड में नाम दर्ज करा लिया।
उनकी सबसे लंबी गजल वल्र्ड बुक ऑफ रिकार्ड लंदन में दर्ज हो चुकी है। आज विश्व कविता दिवस है। ऐसे में कविता की विविधता भरी दुनिया पर नजर जाना लाजिमी है। मुहावरा गजल, दोहा गजल जैसा प्रयाग कर शहर के कानूनगोपुरा उत्तरी निवासी डॉ. पांडेय काव्य जगत को समृद्ध कर रहे हैं।
वल्र्ड बुक ऑफ रिकार्ड लंदन से 2019 में सम्मानित उनकी सबसे लंबी गजल में 86 पंक्तियां यानि 43 शेर की है। मुहावरा गजल ‘मैं सांसों का पछी ऐसा जिसमें है द्रुत गति का कोष, इतना निर्बल पथिक नहीं जो नौ दिन चले अढ़ाई कोस कहने का अंदाज निराला है।
उनके दोहा गजल की धार कहीं अधिक पैनी नजर आती है ‘कहना है मुश्किल बहुत अब चूल्हे का हाल, चावल भी महंगा हुआ सस्ती रही न दाल। डॉ. पांडेय के अब तक 22 कविता एवं दो कहानी संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। डॉ. अशोक गुलशन का ङ्क्षहदी साहित्य में योगदान विषय पर 2011-12 में लखनऊ विश्वविद्यालय की शोध छात्रा मिथिलेश ने एमफिल की उपाधि प्राप्त की है।
सबसे छोटी गजल : डा. अशोक पांडेय गुलशन की सबसे छोटी गजल ‘जरें, तरें। दर्द, हरें। हृदय, भरें। प्रेम, करें। सभी, डरें। मूंग, दरें। घास, चरें। फूल, झरें। ध्यान, धरें’ है।
मिल चुके हैं कई प्रतिष्ठित सम्मान : राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्साधिकारी के रूप में अपने कर्तव्य का पालन करते हुए डॉ. पांडेय को 2018 में इंडोनेशिया के जकार्ता में आयोजित विश्व ङ्क्षहदी सम्मेलन में एक लाख रुपये के दुष्यंत कुमार अलंकरण से नवाजा गया था।
राज्य कर्मचारी साहित्य संस्थान ने 2012 में कहानी संग्रह ‘कागज के पंख के लिए 51 हजार रुपये का अमृतलाल नागर पुरस्कार दिया था। 2021 में काव्य संग्रह ‘ख्वाब के साये के लिए एक लाख रुपये के प्रतिष्ठित डॉ. हरिवंश राय बच्चन सम्मान मिला है।
हिंदी अखबारों का सर्वाधिक कलेक्शन : डॉ. पांडेय ने 2021 में सर्वाधिक 12,634 ङ्क्षहदी अखबारों के कलेक्शन की बदौलत लिम्का बुक में अपना नाम दर्ज कराया। इसमें देश के 22 राज्यों से प्रकाशित अखबारों के अलावा नेपाल, भारत, चीन, थाईलैंड के समाचार पत्र शामिल हैं।