विभिन्न राज्यों से आ रहा यह तथ्य सामने, आन वाले समय में कोरोना सामान्य फ्लू की तरह होगा

Lucknow UP

लखनऊ।(www.arya-tv.com) अब भारतवासियों को कोरोना वायरस के इतना चिंता नहीं करनी है क्योंकि कोरोना के बढ़ते मीटर को देखकर परेशान होने की जरूरत नहीं है। आने वाले समय में कोरोना सामान्य फ्लू की तरह ही हो जाएगा । देश के विभिन्न राज्यों में कोरोना संक्रमण के मामलों से यह तथ्य सामने आया है। कोरोना वायरस अपर रेस्पिरेट्री ट्रैक को ही प्रभावित कर रहा है। यही वजह है कि जहां अधिकतर मरीज एसिंप्टोमेटिक हैं, वहीं दूसरे देशों की तरह यह घातक भी साबित नहीं हो रहा है।

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ट्रेडीशनल मेडिसिन के निदेशक एवं जाने-माने वायरोलॉजिस्ट डॉ देव प्रसाद चट्टोपाध्याय कहते हैं कि बढ़ती कोरोना टेस्टिंग के साथ मरीजों की संख्या में वृद्धि के आंकड़ों को देखकर घबराने की जरूरत नहीं है। वह कहते हैं कि अपने शिखर पर पहुंचकर मई के आखिरी सप्ताह अथवा जून के प्रथम सप्ताह तक कोरोना का मौजूदा संक्रमण काल काफी हद तक सिमट जाएगा। उनके मुताबिक, देश के विभिन्न राज्यों के आंकड़ों से यह बात सामने आई है कि 80 से 85 फीसद कोरोना संक्रमित मरीजों में यह वायरस शरीर पर हमला करने के बाद स्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्सों में ही रह जाता है।

नाक, मुंह और गले में म्यूकस बनाने वाली मोनोलेयर और बाइलेयर कोशिकाओं के साथ अन्य कोशिकाओं की भी संख्या कम होने की वजह से यह वायरस वहां मल्टिप्लाई नहीं कर पा रहा है। इसके चलते न तो मरीज में सामान्य तौर पर कोई गंभीर लक्षण मिल रहे हैं, वही ज्यादातर मरीजों में बुखार तक आने के लक्षण नहीं हैं। ऐसे मरीजों को गैर लक्षण रोगी यानी एसिंप्टोमेटिक कहा जाता है। हालांकि 10 से 15 फीसद मरीजों में गंभीर लक्षण पाए गए हैं परंतु मृत्यु के अनेक मामलों में देखा गया है कि कोरोना संक्रमण के साथ ऐसे मरीजों में पूर्व के गंभीर रोग अथवा कमजोर इम्यूनिटी से जुड़ी परिस्थितियां इसके लिए जिम्मेदार हो सकती हैं।

डॉ चट्टोपाध्‍याय बताते हैं कि कोरोना वायरस मानव शरीर में उत्तक अथवा कोशिकाओं को लक्ष्य बनाता है। इसके जीवन चक्र को लेकर फिलहाल बहुत स्पष्टता नहीं है, फिर भी इसे 21 दिन का माना गया है। कोरोना संक्रमण के प्रति हमें बस सावधानी बरतने की जरूरत है। वह बताते हैं कि अधिकतर लोग इस वायरस से आज नहीं तो कल एक्सपोज होंंगे, लेकिन अच्छी बात यह है इसके प्रति लोगों में इम्यूनिटी भी आ जाएगी। इसलिए इससे डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। आने वाले समय में वायरस यदि पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ तो भी सीमित हो जाएगा और आमतौर पर फ्लू की तरह ही रह जाएगा।

वह कहते हैं कि कोरोना वायरस दरअसल पूर्व के वायरसों की तरह खतरनाक नहीं है, इसीलिए समय गुजरने के साथ देश में 85 से 90 फीसद लोगों को भविष्य में इससे किसी तरीके का नुकसान होने की आशंका नहीं है। बस फिलहाल हमें शारीरिक दूरी और मास्क के प्रयोग को अपनी आदत में शामिल करते हुए सावधानी बरतने की जरूरत है। डा चट्टोपाध्याय कहते हैं कि वायरस कभी भी अपने होस्ट को मारना नहीं चाहता है, वह उसमें सिर्फ अपनी जगह बनाए रखना चाहता है। ऐसे में कोरोना संक्रमण से होने वाली मृत्यु दरअसल एक दुर्घटनामात्र ही है।

भारत में कोरोना संक्रमण की तुलना अमेरिका, फ्रांस, इटली और ईरान जैसे देशों से नहीं की जानी चाहिए। डॉ चट्टोपाध्याय के अनुसार हमारे परिवेश से जुड़ी तीन मुख्य बातें हमारा सुरक्षा कवच साबित हो रही हैं। पहला, हम पैथोजेंस के बीच में ही जन्म लेते हैं, जो जिंदगी भर के लिए हमें तमाम रोगों से लड़ने की क्षमता देते हैं। इस कारण हमारा इम्यून सिस्टम काफी मजबूत हो जाता है और मानव शरीर के लिए एक कवच का काम करता है। दूसरा फैक्‍टर बीसीजी वैक्सीन है। जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उनके अनुसार यह देखने में आ रहा है कि बीसीजी वैक्सीन भारतीयों में संक्रमण के विस्तार को रोकने में सहायक रही है। वहीं तीसरा कवच हमारी ट्रॉपिकल जलवायु और पर्यावरण भी इस बीमारी से लड़ने में मदद कर रहा है। वह कहते हैं कि मुंह से निकलने वाली छींक या थूक के साथ बाहर आने वाले ड्रॉपलेट से यह संक्रमण फैलता है। ऐसे में जब तापमान अधिक है तो यह ड्रॉपलेट्स बाहर निकलने के बाद सूखने लगती हैं और छोटी हो जाती हैं जिससे संक्रमण के लिए इनमें शक्ति नहीं बचती है और वायरस कमजोर हो जाता है ।

किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू ) के संक्रामक रोग अस्पताल के प्रभारी डॉ डी हिमांशु कहते हैं कि कोरोना वायरस मरीजों में सामान्य लक्षण जैसे गलेेमें खराबी या सूखी खांसी ही देखने को मिली है। वहीं ज्यादातर मरीजों में तो किसी तरीके के लक्षण ही नहीं दिखाई पड़ते। केजीएमयू में अभी तक दो ही मरीजों को वेंटिलेटर की आवश्यकता पड़ी जिसमें से एक बुजुर्ग पहले से ही अन्य रोगों से ग्रसित थे। वहीं दूसरे जिस पेशेंट को वेंटिलेटर पर भेजा गया था वह जल्द ही बाहर आ गया। अच्छी बात है कि कोरोना संक्रमित मरीजों में लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं दिखाई दे रहे हैं और सामान्य सर्दी-जुकाम या बगैर किसी लक्षण के साथ अपना काम करते हुए क्‍वारंटाइन का समय गुजारकर स्वस्थ हो रहे हैं।