आयकर विभाग में फर्जी इंटरव्यू के तार नोएडा-बरेली से जुड़े:प्रत्यक्ष कर भवन की 7वीं मंजिल पर होती थी पार्टी

# ## Lucknow

(www.arya-tv.com)  प्रत्यक्ष कर भवन के आयकर विभाग में फर्जी इंटरव्यू करने वाली प्रियंका को अफसरों का संरक्षण मिला हुआ था। इनपुट मिले हैं कि इस रैकेट में नोएडा-बरेली के अधिकारी भी शामिल थे। जांच में अधिकारियों के नाम सामने आ सकते हैं। बड़ी बात यह है कि आयकर विभाग में एंट्री का मानक ही इतना मजबूत था कि वहां आम लोगों का जाना मुश्किल है। ऐसे में दो सप्ताह तक बिल्डिंग के अंदर इंटरव्यू चलता रहना और किसी को पता न चलना यह आला अधिकारी और पुलिस के समझ से परे बन रहा है।

फास्ट ट्रैक टीम जांच कर रही
आयकर विभाग ने इसकी जांच शुरू कर दी है। इसके लिए फास्ट ट्रैक टीम का गठन किया गया है। इसमें पता चला है कि प्रियंका मिश्रा वर्ष 2016-17 में संविदा पर नोएडा आयकर विभाग में डाटा आपरेटर का काम करती थी। 2017 में उसने खुद को आइएएस क्वालिफाइड बताकर पूरे विभाग में मिठाई बांटी थी। हालांकि 1 साल पहले उसको धांधली के आरोप में निकाल दिया गया था।

लखनऊ में किराए पर लिया मकान
सूत्रों का कहना है कि इस पूरे मामले में प्रियंका नोएडा में भी धांधली कर चुकी है। वहां भनक लगी तो लखनऊ में गई और त्रिवेणी नगर इलाके में किराए पर मकान लिया। बाद में अपने साथ दो लड़कियों को और जोड़ा। प्रियंका के ऊपर आला अधिकारियों का हाथ ऐसे में उसकी एंट्री में कभी कोई दिक्कत नहीं रही। कार्यालय के गेट पर वह गार्ड को टैक्स प्रैक्टिशनर बताती थी। महिला ने जिन सात युवकों को मंगलवार को बुलाया था, उनसे लेटर भी लिखवाया था कि जिसमें युवकों ने लिखा था कि आयकर इंस्पेक्टर के पद पर उनकी नियुक्ति हो गई है, उनके कार्यालय में बैठने की व्यवस्था की जाए।

विभागीय अधिकारी बता लिया इंटरव्यू
इस बारे में डीसीपी सेंट्रल अपर्णा रजत कौशिक का कहना है कि प्रियंका खुद को आयकर विभाग का अधिकारी और लखनऊ में तैनाती बताती थी। अपने रिश्तेदारों और परिचितों से बेरोजगारों को पकड़ती थी। अब उसके खाते में आए पैसे की जांच की जा रही है। प्रियंका निजी कालेज से बीटेक कर चुकी है। अब एलएलबी कर रही है। शाहजहांपुर की रहने वाली है। हरदोई में उसकी ससुराल है। एक चार साल की बेटी भी है।

पिकअप भवन के एक अधिकारी का नाम लिया है
बताया जा रहा है कि पुलिस की जांच में महिला ने विभाग के एक अधिकारी एसएन श्रीवास्तव बताया है। सूत्रों का कहना है कि मौजूदा समय ये अधिकारी पिकअप भवन में तैनात हैं। सूत्रों के मुताबिक महिला ने बताया है कि किसकी मदद से ये लोग आयकर भवन की बिल्डिंग के अंदर दाखिल होते थे।
ऐसे ही किसी शख्स की मदद से प्रियंका को प्रिंसिपल इनकम टैक्स कमिश्नर की सील (नकल) मिल गई। क्योंकि वो गोपनीय होती है।

गेस्ट हाउस में होते सभी गलत काम
इनकम टैक्स विभाग के सूत्रों का कहना है कि प्रियंका अधिकारियों को खुश करने के लिए पैसे के साथ कई तरह के प्रलोभन देती थी। कार्यालय की 7 वीं मंजिल पर गेस्ट हाउस है। इसमें 9 कमरे और दो स्वीट है। यहां पार्टी होती थीं। गेस्ट हाउस में अधिकारियों को अय्याशी कराया जाता था। उसके बदले ये अधिकारी प्रियंका के समर्थन में रहते थे। यही वजह है कि हर रोज 5 से 7 बाहरी लोगों को कैंटीन में बैठाने के बाद भी कोई सवाल नहीं उठता था। प्रियंका को वहां के लोग पहले का स्टाफ होने की वजह से जानते थे।

बरेली-नोएडा के अधिकारी कस्टमर लाने का काम करते थे
इस पूरे खेल में प्रियंका के पास कस्टमर लाने का काम बरेली और नोएडा के अधिकारी करते थे। उसके बाद उनकी एंट्री इनकम टैक्स कार्यालय के अंदर कराई जाती थी। लोगों को बताया जाता था कि विभाग में आयकर निरीक्षक और कर सहायक जैसे पदों पर भर्तियां हो रही हैं। बिल्डिंग में नियुक्ति पत्र मिलने के बाद लोगों को यकीन रहता था कि ये विभागीय मामला है। इसके बाद वो आसानी से लाखों रुपए दे भी देते थे।

गार्ड के पास पूरा नाम और मोबाइल नंबर नोट होता है
आयकर विभाग में एंट्री के साथ ही गार्ड रोकते है। वह लोगों से आने का कारण, मिलने वाले अधिकारी का नाम पूछते हैं। उसे बाद अधिकारी को फोन जाता है। वहां से सहमति मिलने के बाद एंट्री दी जाती है। ऐसे में लगातार 15 दिन तक पांच से 7 लोग प्रतिदिन आते रहे यह कैसे संभव है। किस अधिकारी का नाम रजिस्ट्रर में नोट होता था। यह बड़ा सवाल है।