जिस जिसने आंख दिखाई, उसने जान गंवाई; पुतिन के वो 10 आलोचक जिनकी मौत बनी सस्पेंस

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(www.arya-tv.com) मॉस्को विमान हादसे में वैगनर चीफ येवगेनी प्रिगोजिन समेत 10 लोगों की मौत हो गई है। इसके बाद सवाल ये उठने लगा है कि प्रिगोजिन की मौत हत्या है या साजिश? शक की सुई पुतिन की तरफ जा रही है। कहा जा रहा है कि पुतिन ने ही ये हत्या करवाई है। यह इसलिए क्योंकि पुतिन से बगावत के 60 दिन बाद ही प्रिगोजिन की मौत हुई है। प्रिगोजिन के मॉस्को मार्च के बाद पुतिन ने कहा था कि वह इसका बदला जरूर लेंगे और प्रिगोजिन को कभी माफ नहीं करेंगे।

इसके बाद से ही यह तय हो गया था किसी भी वक्त प्रिगोजिन की मौत हो सकती है। हालांकि, प्रिगोजिन की मौत पर फिलहाल सस्पेंस बनी हुई है, लेकिन यह इस तरह का कोई पहला सस्पेंस नहीं है। पुतिन को जिसने भी आंख दिखाई, उसने अपनी जान गंवाई है।ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं पुतिन के वो 10 आलोचक जिनकी मौत पर आज भी सस्पेंस बरकरार है।

पुतिन के वो 10 आलोचक जिनकी मौत बनी सस्पेंस

डेनिस वोरोनेंकोव, 2016

रूस के पूर्व सांसद डेनिस वोरोनेंकोव की मौत पर आज भी सस्पेंस बनी हुई है। साल 2016 में रूस से भागने के बाद डेनिस ने पुतिन की आलोचना शुरू कर दी थी। इसके बाद यूक्रेन की राजधानी कीव में डेनिस की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। यूक्रेन के राष्ट्रपति पेट्रो पोरेशंको ने कहा कि इस हत्याकांड के पीछे रूस का हाथ है। हालांकि रूस ने यूक्रेन के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया।

बोरिस नेम्त्सोव, 2015

बोरिस नेम्त्सोव पुतिन के घोर विरोधी थे। भ्रष्टाचार उजागर करने और 2014 में पूर्वी यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा करने को लेकर वो सरकार विरोधी प्रमुख चेहरा बन गए थे। 27 फरवरी 2015 को रूस के प्रमुख विपक्षी नेता ओर पूर्व उप प्रधानमंत्री बोरिस नेम्त्सोव की मॉस्को में हत्या कर दी गई थी। उन्हें क्रेमलिन से चंद कदम की दूरी पर गोली मारी गई थी। डेनिस की मौत पर अभी तक सस्पेंस है।

बोरिस बेरेजोव्स्की, 2013

क्रेमलिन सत्ता में कभी महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले बेरेजोव्स्की एक समय के बाद पुतिन के सबसे बड़े विरोधी हो गए थे।पुतिन से अनबन के बाद साल 2000 में वो ब्रिटेन चले गए थे। साल 2013 में वो लंदन के बर्कशायर स्थित घर में वो मृत पाए गए थे। बेरेजोव्स्की को बाथरूम के अंदर मृत पाया गया था और उसके गले में एक पट्टी बंधी हुई थी।

स्टानिस्लाव मार्केलोव और अनास्तासिया बाबुरोवा, 2009

स्टानिस्लाव मार्केलोव और अनास्तासिया बाबुरोवा भी पुतिन के घोर आलोचक थे. साल 2009 में दोनों को गोली मार दिया गया. स्टानिस्लाव मार्केलोव मानवाधिकार वकील थे। उन्होंने पोलितकोवस्काया और अन्य पत्रकारों का प्रतिनिधित्व किया था। एक नकाबपोश बंदूकधारी ने उन्हें क्रेमलिन के नजदीक गोली मार दी थी। वहीं, जब अनास्तासिया ने जब उनकी मदद करने की कोशिशि की तो उन्हें भी गोलियों से भून दिया गया।

सर्गेई मैग्निट्स्की, 2009

साल 2009 के नवंबर महीने में सर्गेई मैग्निट्स्की की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। सर्गेई रूस के जाने-मानें वकिल थे। वो एक बड़े टैक्स चोरी पर काम कर रहे थे।उनका मानना था कि टैक्स चोरी में पुलिस का भी हाथ था। इसलिए उन्हें गिरफ्तार किया गया।इस दौरान उन्हें खूब पीटा गया। उनके साथ बुरा बर्ताव किया है।

नतालिया एस्टेमिरोवा, 2009

पत्रकार नताल्या एस्टेमिरोवा की 2009 में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उन्होंने चेचन्या में अपहरण और हत्याओं की जांच की थी। एस्टेमिरोवा को उसके घर के बाहर अगवा कर लिया गया और कई बार गोली मारी गई, जिसमें सिर में एक पॉइंट-ब्लैंक शॉट भी शामिल था और पास के जंगल में फेंक दिया गया।

अन्ना पोलितकोवस्काया, 2006

अन्ना पोलितकोवस्काया रूस की रिपोर्टर थीं। पुतिन की कट्टर आलोचक पोलितकोवस्काया नोवाया गजेटा के लिए काम करती थीं। उन्होंने अपनी किताब ‘पुतिन्स रशिया’ में पुतिन पर रूस को पुलिस राज्य में बदलने का आरोप लगाया था। उन्हें उन ही के बिल्डिंग के एक एलिवेटर में साल 2006 में काफी नजदीक से गोली मार कर हत्या कर दी गई थी।

अलेक्जेंडर लिट्विनेंको, 2006

अलेक्जेंडर लिट्विनेंको एक पूर्व केजीबी एजेंट थे। वह लंदन के एक होटल में मृत पाए गए थे। उन्हें जहर देकर मार दिया गया था। बताया जाता है कि उनकी चाय में पोलोनियम-210 मिलाया गया था, जिसको पीने के तीन हफ्ते बाद ही उनकी मौत हो गई थी। जब इसकी जांच की गई तो पता चला कि लिट्विनेंको को जहर दिया गया था। एफएसबी एजेंटों आंद्रेई लुगोवोई और दिमित्री कोवतुन ने उन्हें जहर दिया था। पुतिन ने ऐसा करने को कहा था।

सर्गेई युशेनकोव, 2003

सर्गेई युशेनकोव एक रूसी राजनेता थे। लिबरल रूस में एक पॉलिटिकल नेता के रूप से आंदोलन में जुड़े थे। मॉस्को में उनके घर के बाहर उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। युशेनकोव सबूत इकट्ठा कर रहे थे। उनका मानना ​​था कि 1999 में एक अपार्टमेंट बम विस्फोट के पीछे पुतिन सरकार का हाथ था।