सबसे अलग है डिपो का आटोमेटिक वाशिंग प्लांट, जानिए मेट्रो से जुड़ी खास बातें

Kanpur Zone

(Gauri gautam) 

(www.arya-tv.com) कानपुर शहर में मेट्रो ट्रेन का संचालन नवंबर माह के अंत करने की कवायद तेजी से जारी है। मेट्रो ट्रेन के कोच भी पालीटेक्निक डिपो में पहुंच चुके हैं, जिनकी असेंबलिंग का काम भी शुरू हो चुका है। वहीं प्रथम चरण में आइआइटी से माेतीझील तक ट्रैक निर्माण और स्टेशन का काम भी तेजी से जारी है। मेट्रो की यह पहली ट्रेन प्रोटोटाइप है, जिसका एक कोच चालीस टन वजन का है। इसके अलावा यहां पर आटोमेटिक वाशिंग प्लांट भी कुछ खास है। आइए, मेट्रो से जुड़ी कुछ खास बातों से रू-ब-रू कराते हैं।

खास है मेट्रो का आटोमेटिक वाशिंग प्लांट : मेट्रो के आटोमेटिक वाशिंग की पहली बड़ी खूबी यह है कि यह पहला आटोमेटिक वाशिंग प्लांट है जो ट्विन पियर कैप पर बना है। इसके पहले कोई भी वाशिंग प्लांट इस तरह का नहीं है। गीता नगर स्टेशन से डिपो में जाने के रास्ते में यह आटोमेटिक वाशिंग प्लांट बन रहा है। डिपो में जो भी मेट्रो आएंगी या वहां से निकलेंगी, वे सभी इस प्लांट से होकर गुजरेंगी।

आटोमेटिक वाशिंग प्लांट पूरी तरह सेंसर युक्त होगा। ऐसे में सभी ट्रेनों की धुलाई न शुरू हो जाए, इसलिए आटोमेटिक वाशिंग प्लांट में एक खास रफ्तार से निकलने वाली मेट्रो ही धुलेगी। अधिकारियों के मुताबिक पांच किमी प्रति घंटे की रफ्तार से इस प्लांट से जो मेट्रो गुजरेंगी तो सेंसर सक्रिय हो जाएगा और उन्हें वह धो देगा।

एलस्टाम व बाम्बार्डियर के स्टाफ ने उतारे कोच : मेट्रो के तीन कोच सड़क मार्ग से पालीटेक्किनक डिपो पहुंचे तो उन्हें उतारने के लिए एलस्टाम और बाम्बार्डियर की टीमें कानपुर बुलाई गईं। बाम्बार्डियर को कोच बनाने का अनुबंध मिला था, लेकिन बाद में एलस्टाम ने उस कंपनी को खरीद लिया था। इनकी पूरी टीम कोच उतारने की प्रक्रिया में सुबह से जुट गई और कुछ ही देर में क्रेन को बोगी पर फिट करके कोच ट्रैक पर उतार दिए गए थे।

40 टन का है मेट्रो का एक कोच : मेट्रो का एक कोच 40 टन का है। कोच उतारते समय कोई गड़बड़ी न हो, इसके लिए कई बार ट्रायल किया जाता है और पूरे स्टाफ को प्रशिक्षित किया जाता है।

यह क्यों है प्रोटोटाइप ट्रेन : मेट्रो की यह पहली ट्रेन इसलिए प्रोटोटाइप कही जा रही है क्योंकि सिर्फ इसी ट्रेन के साथ डिपो में परिचालन संबंधी विभिन्न परीक्षण किए जाएंगे। इसमें हाई और लो स्पीड रन, लोड टेस्टिंग, इलेक्ट्रिकल एवं सिग्नलिंग टेस्ट शामिल होंगे। इसमें जो भी बदलाव होंगे, वे आगे की ट्रेनों में वहीं से आएंगे।

सभी खंभे हो गए तैयार : मेट्रो के रूट के सभी खंभे तैयार हो गए हैं। लगभग सभी जगह यू गार्डर रखे जा चुके हैं। इसके अलावा प्राथमिक कारिडोर के सभी नौ स्टेशनों को अंतिम रूप देने का काम किया जा रहा है। मेट्रो एमडी ने खुद स्टेशनों का हाल भी देखा।

तीन माह में आएगी टीबीएम : अंडरग्राउंड रूट के लिए सुरंग खोदने के लिए टनल बोङ्क्षरग मशीन (टीबीएम) अगले तीन माह में कानपुर आएगी। इसके बाद टनल बनाने का काम शुरू होगा।

नवरात्र के साथ शुरू होगा कास्टिंग यार्ड : अंडरग्राउंड मेट्रो के कास्टिंग यार्ड में नवरात्र से काम शुरू हो जाएगा। इसमें यहीं पर सुरंग की दीवारें ढाली जाएंगी जिन्हें टीबीएम के जरिए अंदर फिट किया जाता रहेगा।

अंडरग्राउंड स्टेशनों की डिजाइन में मामूली बदलाव : जमीन के नीचे की स्थितियों को देखते हुए मेट्रो ने चुन्नीगंज, नवीन मार्केट, बड़ा चौराहा, नयागंज स्टेशन के डिजाइन में हल्का सा परिवर्तन किया है।