भौकाल नहीं…कालीन और पीतल इंडस्ट्री यहां की पहचान:जानिए मिर्जापुर की सच्चाई

# ## UP Varanasi Zone

(www.arya-tv.com)मिर्जापुर नाम से आपके जेहन में कालीन भैया की छवि उभरती होगी। वेब सीरीज में पूर्वांचल का बाहुबल दिखा। इसमें माफिया और उसके गुर्गों का तांडव दिखाया। हम आपको बता दें कि मिर्जापुर में दैनिक भास्कर टीम ने कालीन भैया को बहुत ढूंढा। न तो वे मिले, न उनसे मिलता जुलता कोई और रूप। और तो और, गुड्‌डू, और बबलू भी नहीं मिले। यहां न गोलियां चलती हैं, न गुंडई होती है। जब ज्यादा पूछताछ की तो लोग भड़क गए। बोले- आप जिनको ढूंढ रहे हैं, वो आपके मोबाइल पर ही मिलेंगे। क्योंकि, ये यूपी के दो सबसे शांत जिलों में से एक है। वेब सीरीज ने मिर्जापुर को इतना बदनाम कर दिया कि लोग यहां आने से डरने लगे हैं। जो आते हैं, वे यह देखने के लिए कि कहीं वाकई ये वैसा ही तो नहीं है, जैसा दिखाया गया है। यहां की विंध्यवासिनी माता में श्रद्धा रखने वाले लोग भी इसी बात पर नाराज हैं कि माता के शहर के बदनाम कर दिया गया। चुनाव में तो ये मुद्दा भी है।

इस वेब सीरीज के हर डायलॉग में बोला गया शब्द भौकाल लोगों की जुबान पर चढ़ गया। भौकाल यानी जलवा…और यही भौकाल मिर्जापुर का पूरी दुनिया में है। गुंडई, गोलीबारी या दंगों के लिए नहीं, बल्कि यहां बनने वाले बढ़िया कालीनों के लिए। यहां के बने कालीन पूरी दुनिया में इस्तेमाल किए जाते हैं। खासतौर पर अमेरिका, जर्मनी, ऑस्ट्रेलिया, हॉलैंड, न्यूजीलैंड, कनाडा में यहां के बने कालीनों की मांग सबसे ज्यादा है।

मिर्जापुर में बसई, बड़ी बसई, मझगवां, शबरी, इमामबाड़ा, खमरिया सहित कई इलाके सिर्फ कालीन की बुनाई के लिए ही जाने जाते हैं। कोई रंगाई और कोई बुनाई करता है। कहीं कालीन की धुलाई होती है तो कहीं पैकिंग कर विदेश भेजने की तैयारी की जाती है।

एक पहचान यहां के पीतल उद्योग से भी है। देशभर में पीतल के बर्तनों की सप्लाई यहां से होती है। यहां की दुर्गा देवी इलाके को पीतल कारोबार की वजह से सोनवर्षा या कसरहट्‌टी भी कहा जाता है।

कालीन उद्योग को आपराधिक छवि से जोड़ दिया गया

इन सबके बावजूद पहले विश्व स्तर पर कालीन बनाने में बाल श्रम को लेकर मिर्जापुर को बदनाम किया गया। फिर वेब सीरीज में कालीन उद्योग को आपराधिक छवि से जोड़ दिया गया। सिर्फ मिर्जापुर जिले की बात करें तो 200 से ज्यादा कालीन व्यापारी और 20 हजार से ज्यादा कालीन बनाने वाले कारीगर छवि बिगड़ने से प्रभावित हुए हैं। कई लोगों ने तो कालीन का काम बंद दिया है। नए लोग कालीन बुनाई सीखने में रुचि नहीं ले रहे हैं। क्राइम, पॉवर, पॉलिटिक्स, गुंडाराज का एक शहर, जहां किंग ऑफ मिर्जापुर का राज है। इस छवि से शहर बाहर निकलना चाहता है।

यहीं के कमलापति त्रिपाठी राजनीति में आए

राजनीति में मिर्जापुर का भौकाल है। यहीं के कमलापति त्रिपाठी राजनीति में आए, यूपी के सीएम बने। वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की राजनीति भी यहीं से शुरू हुई। वे पहली बार विधायक यहीं से बने। यूपी सीएम और फिर देश के गृह मंत्री भी बने। यहां बच्चों को हाथ से कालीन बुनने से मुक्ति दिलाकर कैलाश सत्यार्थी नोबेल पुरस्कार विजेता बन गए।

इसी जिले चंबल की दस्यु सुंदरी फूलन देवी को संसद की सीढ़ियां चढ़वाई। यूपी की राजनीति में मिर्जापुर का भौकाल इस बात से भी समझ सकते हैं कि यहां कि पांचों विधानसभा सीटों पर बीजेपी काबिज है और प्रदेश में सरकार भी उसी की है। मिर्जापुर में बीजेपी अपना भौकाल बनाए रखने के लिए और सपा खोया हुआ भौकाल दोबारा पाने के लिए लड़ रही है। लेकिन न कोई प्रत्याशी और न ही कोई बड़ा नेता मिर्जापुर की बिगड़ी छवि को लेकर बात कर रहा है। हां…यहां से सांसद अनुप्रिया पटेल ने जरूर मिर्जापुर सीरीज को लेकर सोशल मीडिया पर नाराजगी जताई थी। सीरीज रिलीज हुए समय बीत गया, लेकिन अब तक बिगड़ी छवि सुधारने को लेकर कोई पहल नहीं हुई है।