सीएमओ की ताबड़तोड़ कार्रवाई से हिला अनधिकृत निजी अस्पतालों का मकड़जाल

Lucknow
  • मानक विहीन चल रहे 8 निजी अस्पतालों को थमाया नोटिस,24 घंटे में जवाब देने के दिए निर्देश
  • हरदोई रोड पर फैला मानक विहीन निजी अस्पतालों का जाल,बीएससी पास छात्रों के भरोसे निजी अस्पताल

 लखनऊ। राजधानी में फैले मानक विहीन अस्पतालों पर सीएमओ ने जैसे ही शिकंजा कसना शुरू किया वैसे ही परते खुलने लगी।  जिसमें अधिकतर निजी अस्पताल मानक विहीन चलते पाए गये। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. मनोज अग्रवाल के निर्देशन में गठित जांच टीम में  उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ.केडी मिश्रा द्वारा आठ अस्पतालों में कमियां मिलने पर उन्हें नोटिस थमा दिया है। जिसमें अधिकतर अस्पतालों में कमियां पायी गयी कोई भी अस्पताल मानक पर खरा नहीं उतर सका। इसके अलावा भी कई ऐसे निजी अस्पताल हैं जिनपर कार्रवाई अभी कोसो दूर दिखाई दे रही है। उसमें चाहे बालागंज का निजी अस्पताल नोवा हो या लखनऊ अस्पताल हो । ऐसे ही गिनती की जाए तो हरदोई रोड पर सैकड़ों अस्पताल मानक विहीन चल रहें है जो कार्रवाई से कोसो दूर है। वहीं बीते शुक्रवार को डॉ.मिश्रा द्वारा हरदोई रोड के निजी अस्पतालों में जांच के दौरान मिली कमियों में ठाकुरगंज स्थित फेडरल अस्पताल, दुबग्गा स्थित मेडिसिटी अस्पताल , बुद्धेश्वर रोड स्थित मिडलैंड अस्पताल, आरएनए अस्पताल, सुपर जनता अस्पताल, हाइटेक अस्पताल, कुसुमा अस्पताल और यूपी अस्पताल का औचक निरीक्षण किया गया । जिसमें बहुत सारी कमिया पायी गयी और बुद्धेश्वर रोड स्थित हाइटेक अस्पताल में निरीक्षण के दौरान पाँच मरीज भर्ती मिले। जिसमें दो मरीज आईसीईयू में थे बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की समुचित व्यवस्था भी नहीं पायी गई और फामेर्सी का लाइसेंस भी नहीं था। इसी क्रम में कुसुमा अस्पताल में कोई पंजीकृत चिकित्सक नहीं मिला और पांच मरीज भर्ती थे, बिजली के खुले तार मिले, फामेर्सी का लाइसेंस नहीं मिला और बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की समुचित व्यवस्था नहीं की गई। ठाकुरगंज स्थित फेडरल अस्पताल में अस्पताल के संचालक नही मिले, कोई अभिलेख नहीं मिला और कोई भी मरीज भर्ती नहीं था, अस्पताल में फामेर्सी, 13 बेड और ओटी था। दुबग्गा स्थित मेडिसिटी अस्पताल में निरीक्षण के दौरान पांच मरीज भर्ती मिले, कोई भी चिकित्सक नहीं था। प्रशिक्षु जीएनएम ड्यूटी पर मिली, फामेर्सी का लाइसेंस नहीं था और बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की उचित व्यवस्था नहीं थी । बुद्धेश्वर रोड स्थित मिडलैंड अस्पताल जहां कोई चिकित्सक नहीं मिले, दो मरीज भर्ती मिले जिनकी कोई फाइल ही नहीं बनाई गयी थी। वहीं इसी रोड पर स्थित आरएनए अस्पताल में निरीक्षण के दौरान कोई भी चिकित्सक मौजूद नहीं थे। इतना ही नहीं बीएससी के छात्र अस्पताल में कार्यभार संभालते पाए गये और दिल के मरीज भर्ती पाए गये। अस्पताल बेसमेंट में संचालित हो रहा था, प्रवेश द्वार बहुत संकरा होने के साथ अस्पताल में  भारी गंदगी अंबार लगा मिला और बायो मेडिकल वेस्ट के निस्तारण की व्यवस्था असंतोषजनक थी। बुद्धेश्वर रोड स्थित यूपी अस्पताल में फामेर्सी का लाइसेंस नहीं मिला मरीज भर्ती थे लेकिन कोई चिकित्सक मौजूद नहीं था। बुद्धेश्वर रोड स्थित सुपर जनता अस्पताल में चिकित्सालय संचालित नहीं था अप्रशिक्षित जीएनएम छात्राएं मिलीं । कमियों को देखते हुए जांच टीम ने अस्पतालों को नोटिस देते हुए 24 घंटे के अंदर जवाब प्रस्तुत करने के साथ संतोष जनक जवाब न दिये जाने पर कार्रवाई की चेतावनी देकर नोटिस थमा दी गयी । अब देखना यह दिलचस्प होगा कि इसके पहले भी कई मानक विहीन निजी अस्पतालों को नोटिस दी गयी और कितना अनुपालन हुआ। जिससे दोबारा लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ न हो इसके लिए स्वास्थ्य विभाग को सख्त कदम उठाने ही पड़ेंगे ।