8 दिन से टेनरी बंद, कर्ज में डूबे श्रमिक:इरिगेशन चैनल टूटने से ठप है शहर की 350 टेनरियां

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(www.arya-tv.com) वाजिदपुर जाजमऊ में टूटा इरिगेशन चैनल 24 घंटे में बना दिया गया लेकिन 8 दिन से अभी भी टेनरियां बंद हैं। अभी तक सर्वे करके टीम ने रिपोर्ट नहीं सौपी है। जिस कारण से इन्हें खोलने के लिए शासन से अनुमति नहीं मिली है। इसका असर साढ़े तीन सौ टेनरियों में काम करने वाले करीब 60 हजार से ज्यादा मजदूरों पर पड़ा है। उनके सामने रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है। कई तो कर्ज में डूब गए हैं। बारिश की वजह से उन्हें दूसरा काम भी नहीं मिल पा रहा है। इसी तरह चमड़ा कारोबार से अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े ट्रेडर्स और ट्रांसपोर्ट लाइन भी प्रभावित है।

काम की तलाश में भटकते श्रमिक

इन दिनों कानपुर ट्रेनों का नजारा कुछ अजीब सा है। ट्रेनरियों के गेट बंद है। चहल कदमी वाले इस क्षेत्र में फिलहाल सन्नाटा पसरा हुआ है। ना मजदूरों की चहल कदमी है और ना ही चमड़ा लाने ले जाने वाली गाडिय़ों की आवाजाही । चमड़ा उद्योग से जुड़े पूरे कारोबार कि यदि बात करें तो इस उद्योग से जुड़े लगभग पचास हजार अन्य लोग भी प्रभावित है। जिसमें छोटे ट्रेडर्स और ट्रांसपोर्ट कंपनीयां है।

किसी तरह सौ रुपये कमाए तो पेट भरा

हमीरपुर से जाजमऊ की एक टेनरी में काम करने आए श्रमिक मनोज ने बताया कि एक हफ्ते से ज्यादा समय से काम नहीं मिला। किसी तरह छोटो-मोटा काम कर सौ रुपए कमाते हैं, तो दिनभर खाना मिल जाता है। लेकिन घर वालों को पैसा नहीं भेज पा रहे। इससे परिवार चलाना मुश्किल हो गया है। बारिश होने की वजह से कोई दूसरा काम भी नहीं मिल पा रहा है। सुनने में आया है कि अभी कई दिनों तक टेनरियां नहीं खुलेंगी। इससे तो हमारे हालात भुखमरी की कमार पर पहुंच गये है।

संकट में 60 हजार से ज्यादा श्रमिक

पश्चिम बंगाल के कोलकाता के बाद कानपुर ही टेनरियों का हब है। यहां कुल 350 से ज्यादा टेनरियां संचालित हैं। इनमें से 70 बड़ी और 123 मध्यम तथा बाकी छोटी टेनरियां हैं। इनमें करीब 60 हजार से अधिक श्रमिक कार्यरत हैं। टेनरियां बंद होने से बड़े ट्रेनरी मालिक तो घर बैठे श्रमिकों को वेतन देने को मजबूर हैं, लेकिन छोटी टेनरी मालिकों ने सैलरी देने से इनकार कर दिया है। इससे श्रमिकों के सामने परिवार पालने का संकट खड़ा हो गया है।

आसपास के जिलों से आते हैं मजदूर

कानपुर की टेनरियों में शहर व आसपास के जिलों से श्रमिक काम करने आते हैं। इनमें उन्नाव, हमीरपुर, कानपुर देहात, फतेहपुर सहित कई अन्य जिलों व दूसरे प्रदेशों के मजदूर भी हैं। श्रमिकों का कहना है कि एक हफ्ते से बंद टेनरियों की वजह से परिवार का पालन-पोषण भी मुश्किल हो गया है। जमा-पूंजी खत्म हो गई, अब तो कर्ज लेना पड़ रहा है। यहीं हाल रहे तो वापस गांव जाना पड़ेगा।