कांग्रेस पार्टी के बदल रहे है ​तेवर,अब हिंदुत्व की राह से पाना चाहती है सत्ता

Varanasi Zone

(www.arya-tv.com) जगतपुर कालेज मैदान में रविवार को हुई किसान न्याय रैली में शामिल होने आई कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का दौरा स्पष्ट कर गया कि पार्टी के तेवर बदल से गए हैं। पहले जहां हिंदुत्व का नाम लेने से संगठन को डर लगता था तो वहीं, अब खुलकर दर्शन-पूजन व हर-हर महादेव का उद्घोष किया जा रहा है। हालांकि, इस बदलाव में पार्टी के लिए बड़ी चुनौती उसके धर्म निरपेक्ष छवि को बचाने की है। यही वजह है कि जनसभा में सभी धर्मों के धर्म गुरु न सिर्फ मौजूद थे बल्कि सत्ता परिवर्तन की कामना भी की।

जनसभा में मंच के बगल में धर्म गुरुओं के लिए स्थान चिह्नित था। इसमें हिंदू, मुस्लिम, सिख व इसाई धर्म का प्रतिनिधित्व था। सबसे पहले देवी स्तुति की गई तो मुस्लिम धर्म गुरु ने कुरान की आयतें पढ़ीं। सिख धर्म गुरुओं ने भी जो बोले सोनिहाल… का उद्घोष किया। इतना ही नहीं मंच पर संबोधन से पहले पूर्व विधायक अजय राय ने हर-हर महादेव का उद्घोष किया और देवी स्तुति की। माहौल में हिंदुत्व का रंग घुल चुका था। ऐसे में प्रियंका ने भी मौका नहीं छोड़ा और संबोधन की शुरुआत नवरात्र पर्व का उल्लेख करने के साथ देवी स्तुति से की। इससे पहले प्रियंका श्रीकाशी विश्वनाथ, मां अन्नपूर्णा मंदिर समेत दुर्गाकुंड स्थित कूष्मांडा मंदिर में मत्था भी टेका।

नवरात्र में मिशन यूपी 2022 का शंखनाद
कांग्रेस को ऐसा पहले कम ही देखा गया है कि हिंदुत्व के मसले पर इस तरह से बढ़चढ़ कर प्रदर्शन करे। धर्म निरपेक्ष छवि के साथ ही हिंदुत्व को साथ लेकर चलने के लिए संगठन ने इस बार नवरात्र चुना। मिशन यूपी 2022 का शंखनाद धर्म नगरी काशी से नवरात्रि में हुआ।

उत्तर प्रदेश कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी के वाराणसी दौरे और मंदिरों में दर्शन-पूजन पर संत समाज ने उन्हें आड़े हाथों लिया। अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि मंदिर हमारी संस्कृति में श्रद्धा, आस्था और भक्ति का केंद्र है। इसे चुनाव प्रचार संबंधी आभियान के लिए उपयोग करना ठीक नहीं है। विधानसभा चुनाव का माहौल बनाने की चाह में प्रियंका मंदिरों का भ्रमण कर रही हैं। मंदिर तीर्थ स्थल हैं, उन्हें प्रचार और पर्यटन का केंद्र बना लिया गया है। प्रियंका गांधी के भाई राहुल मंदिरों पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हैं। ऐसे में उनके वहां दर्शन-पूजन का क्या औचित्य बनता है?