अयोध्या में शिक्षकों को लाइव लोकेशन और सेल्फी के साथ दर्ज करानी होगी उपस्थिति

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(www.arya-tv.com) यूपी में सरकारी स्कूलों में कार्यरत अध्यापक अब अपनी मर्जी से स्कूल नहीं आ जा सकेंगे। बेसिक शिक्षा विभाग शिक्षकों की उपस्थिति को लेकर सख्त प्राविधान लाने जा रहा है। जिसके तहत शिक्षकों को तय समय में विद्यालय पहुंचे अनिवार्य हो जाएगा, इसके लिए विभाग सभी प्रधानाध्यापकों को टैबलेट मुहैया कराने जा रहा है। जिसके जरिए शिक्षकों को लाइव लोकेशन और सेल्फी के साथ उपस्थिति दर्ज करनी होगी। यदि शिक्षक ऐसा नहीं करेंगे तो उनका वेतन कट जाएगा।

बेसिक शिक्षा विभाग प्रदेश के दो लाख नौ हजार 863 सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को टैबलेट देने जा रही है। शासन स्तर से टैबलेट देने के लिए टेंडर की प्रक्रिया को पूरा किया जा चुका है। योजना के मुताबिक गर्मी की छुट्टियों के बाद सभी स्कूलों में टैबलेट पहुंचा दिए जाएंगे। टैबलेट मिलते ही सभी की हाजिरी इससे लग सकेगी।

विभागीय निर्देशों की जानकारी हो सकेगी

शासन की ओर से प्रधानाध्यापकों को दिए जा रहे टैबलेट केवल उपस्थिति दर्ज करने के लिए ही नहीं है। इस टैबलेट के माध्यम से सरकार की ओर से सभी योजनाओं की जानकारी भी उपलब्ध होती रहेगी। इसके साथ ही विभागीय आदेश- निर्देश भी ऑनलाइन मिलेंगे। यानी सरकारी स्कूल के शिक्षकों को डिजिटल तरीके से मजबूत बनाया जा रहा है।

पुरानी फोटो अपलोड नहीं होगी

शिक्षकों को लोकेशन मोड के साथ ऑनलाइन हाजिरी लगानी होगी। टैबलेट ऑन करते ही वह स्वत: लोकेशन ले लेगा। इसके बाद ही उपस्थिति दर्ज होगी। सबसे पहले प्रधानाध्यापक की हाजिरी होगी। इसके बाद स्कूल के समस्त शिक्षकों की हाजिरी लगेगी। टैबलेट में जिस सॉफ्टवेयर से हाजिरी लगाई जाएगी। उसमें फोटो खींचने के लिए भी एक विकल्प दिया गया है, जिसके जरिए फोटो खींच कर अपलोड की जाएगी। इस पर कोई भी पुरानी फोटो अपलोड नहीं हो सकेगी। क्योंकि को फोटो अपलोड करने के लिए गैलरी का विकल्प नहीं है।

अयोध्या के 5600 शिक्षकों को लगाना होगा ऑनलाइन हाजिरी

अयोध्या में 1792 परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालय हैं, जिसमें करीब 5600 शिक्षक शामिल हैं। इन स्कूलों में शासन स्तर से सभी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को एक -एक टैबलेट दिया जाएगा। जिससे उन्हें ऑनलाइन हाजिरी लगानी होगी। साथ में ऑन द स्पॉट सेल्फी भी अपलोड करनी होगी। बेसिक शिक्षा अधिकारी संतोष कुमार राय का कहना है कि इससे शिक्षकों की मनमानी पर रोक लगेगी। शिक्षा के स्तर में भी सुधार हो सकेगा।