BHU में फर्जी डॉक्टर:PMO तक पहुंची लापरवाही

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(www.arya-tv.com) काशी हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के सर सुंदरलाल अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में पकड़े गए 3 फर्जी डॉक्टरों को लंका पुलिस को सौंप दिया है। हैरानी की बात है कि इनमें इंटर पास डॉक्टरी कर रहे थे। बाकि MBBS डॉक्टर इन्हें 600 रुपए महीने देकर ड्यूटी कराते थे।

फर्जी डॉक्टर के मामले में BHU के छात्रों ने पीएम मोदी और शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान से शिकायत की है। छात्रों ने कहा है कि BHU अस्पताल में फर्जी डॉक्टरों का रैकेट काम कर रहा है। इसमें अस्पताल के कई सीनियर डॉक्टर शामिल हैं।

शोध छात्र पतंजलि ने कहा, ” एक कमेटी बनाकर निष्पक्ष जांच हो। इस दौरान BHU अस्पताल के मेडिकल सुप्रीटेंडेंट और गायनकोलॉजी विभाग की अध्यक्ष को कार्य से अलग रखा जाए। इनके बने रहने से जांच प्रभावित हो जाएगी।”

सात लोगों के खिलाफ मुकदमा

BHU अस्पताल में फर्जी डॉक्टरों में कुल 7 लोगों पर मुकदमा हुआ है। 2017 बैच के पासआउट MBBS डॉक्टरों की जगह 3 लोगों को ड्यूटी करते पकड़ा गया था। फर्जी इंटर्न की पहचान वाराणसी के विशेश्वरगंज की प्रीती चौहान, मिर्जापुर अदलहाट के मोहित सिंह और सोनभद्र के अनपरा के अभिषेख सिंह के रूप में हुई है।

ये पांच MBBS पास आउट डॉ. नितिन, डॉ. शुभम, डॉ. सौमिक डे और डॉ. कृति की जगह डॉक्टरी कर रहे थे। MBBS डॉक्टर इन्हें 600 रुपए देकर ड्यूटी कराते थे। प्रीति केवल 12वीं पास ही है और वह MBBS डॉक्टर की तरह से काम कर रही थी। डॉक्टरों और पकड़े गए फर्जी इंटर्न को लंका थाने के सुपुर्द शिकायत के साथ सौंप दिया गया है। BHU सुरक्षा निरीक्षक अरुण कुमार की तहरीर पर इन सभी लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है।

कमिश्नर बोले- डॉक्टर की जगह इंटर्न कर रहे थे ड्यूटी

पुलिस कमिश्नर अशोक मुथा जैन ने बताया कि डॉक्टर की जगह इंटर्न काम कर रहे थे। यह बात BHU ने अपनी जांच में पाई और सौंपा है। जिस पर FIR दर्ज कर ली गई है और आगे जांच की जा रही है। ये सभी कब से वहां फर्जी ड्यूटी कर रहे थे। जांच के बाद पता चलेगा।

व्हाट्सएप चैट से डॉक्टर फर्जी इंटर्न को बताती थी ड्यूटी

डॉक्टरों (एमबीबीएस इंटर्न) ने व्हाट्स एप से डॉक्टरों की ड्यूटी जब भी वार्ड, ट्रामा सेंटर और ओपीडी में लगती थी, तब फर्जी इंटर्न को व्हाट्सएप संदेश के जरिये सूचना देते थे। बताते थे कि छह घंटे ड्यूटी करनी है। महिला डॉक्टर की फर्जी इंटर्न प्रीति चौहान के साथ व्हाट्सएप चैट मिली है।

महिला डॉक्टर ने लिखा कि प्रीति (फर्जी इंटर्न) तुम्हें मोहित (फर्जी इंटर्न) ने बताया कि 14-18 तक ऑर्थो पोस्टिंग करनी है मेरी? इस पर प्रीति ने लिखा कि जी मैम। भइया ने अभी बताया हमें… तो कितने बजे से कितने बजे तक रहेगा समय। इस पर महिला डॉक्टर ने लिखा कि सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक ड्यूटी रहेगी। बीच में लंच ब्रेक भी मिलेगा।

25 हजार मिलता है स्टाइपेंड

BHU अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. के. के. गुप्ता ने बताया , “IMS-BHU के चार MBBS छात्रों के नाम पर उपस्थिति दर्ज करने और पैसे ट्रांसफर के डिटेल मिली है। इसी को आधार मानकर मुकदमा हुआ है। IMS-BHU के डायरेक्टर प्रो. एसके सिंह को भी इन छात्रों पर कार्रवाई के लिए संस्तुति की गई है। वे ही तय करेंगे कि इन छात्रों पर किस तरह का और कब तक एकेडमिक एक्शन लिया जाएगा। वहीं, मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया भी कार्रवाई कर सकता है। उन्हें भी पत्र लिखा गया है”

उन्होंने कहा,”2017 बैच के MBBS के डॉक्टरों ने अपनी जगह इनको रखा था। यह क्रिमिनल ऑफेंस है। MBBS की पढ़ाई के बाद एक साल की ट्रेनिंग की जाती है, जिसे इंटर्नशिप कहा जाता है। इसके लिए 25 हजार स्टाइपेंड भी मिलता है। उन्होंने आगे बताया कि उनकी टीम ने ही फर्जी इंटर्न को अस्पताल से पकड़ा है। पकड़े गए सभी लोग नॉन मेडिकल हैं।”

BHU अस्पताल के डॉक्टर निशाने पर

BHU अस्पताल में मरीजों को बेड देने के 100 नियम कायदे बताए जाते हैं। मगर, सवाल उठता है कि क्या डॉक्टरों की अटेंडेंस शीट नहीं चेक होती। उनका फर्जी डॉक्टरों से काम कराना एक मिलीभगत की ओर इशारा करते हैं। छात्रों ने भी PM को लेटर में लिखा है कि घटना के बाहर आने पर भी अस्पताल के अधिकारी मूकदर्शक बने हुए हैं। मामले को दबाने में लगे हैं। ऐसा संभव ही नहीं है कि बिना किसी प्रशासनिक व्यक्ति या सीनियर डॉक्टरों के संरक्षण के लंबे समय को कोई अस्पताल में ड्यूटी कर सके।