राज्य सरकार का फैसला: संस्कृत विद्यालयों को मिलेंगे 100 करोड़, खर्च करने के बने नियम

Lucknow UP

(www.arya-tv.com) मंत्रिपरिषद ने माध्यमिक शिक्षा विभाग में अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों के जीर्णाेद्धार, मरम्मत, पुनर्निर्माण, निर्माण एवं सुविधाओं हेतु सहयोगी अनुदान के सम्बन्ध में संशोधित गाइड लाइन्स निर्धारित किये जाने के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है।

मंत्रिपरिषद ने यह निर्णय भी लिया है कि राज्य सरकार की अनुदान राशि एवं विद्यालय प्रबंधक/प्रधानाचार्य की मैचिंग राशि जमा कराये जाने हेतु किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में स्वतंत्र खाता खोला जाएगा, जिसका संचालन संस्था के प्रबंधक, वित्त एवं लेखाधिकारी कार्यालय जिला विद्यालय निरीक्षक तथा सम्बन्धित जनपद के जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा संयुक्त रूप से किया जाएगा। प्रस्तावित प्रकरण में भविष्य में किसी संशोधन की आवश्यकता हो तो उसके लिए मंत्रिपरिषद द्वारा मुख्यमंत्री जी को अधिकृत किया गया है।

अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध कराये जाने हेतु वित्तीय वर्ष 2023-2024 के आय-व्ययक में 100 करोड़ रुपये का प्राविधान किया गया है। प्रदेश में 900 अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालय संचालित हैं। वर्तमान वित्तीय वर्ष के आय-व्ययक में प्राविधानित धनराशि से प्रथम चरण में 50 वर्ष से पूर्व के स्थापित अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक संस्कृत विद्यालयों की मरम्मत, जीर्णोद्धार एवं आवश्यक अवस्थापना सुविधाएं उपलब्ध करायी जानी हैं।

कार्य योजना की गाइड लाइन्स के अन्तर्गत मुख्यतः छत, फर्श तथा बालक/बालिकाओं के लिए पृथक-पृथक शौचालय एवं उनकी मरम्मत/पुनर्निर्माण, मल्टीपरपज हॉल आदि कार्य कराये जाने हैं। कार्य योजना के अन्तर्गत प्रबन्ध समिति द्वारा सर्वप्रथम अपनी बैठक कर प्रस्ताव पारित कर निर्णय लिया जायेगा कि कार्यदायी संस्था, सम्बन्धित संस्था होगी अथवा कोई शासकीय निर्माण इकाई।

भुगतान की कार्यवाही वित्तीय वर्ष 2023-24 के आय-व्ययक में प्रश्नगत मानक मद में प्राविधानित 100 करोड़ रुपये की धनराशि को चरणबद्ध तरीके से आवश्यकतानुसार शिक्षा निदेशक (मा0) को अवमुक्त किया जायेगा। सहयोगी धनराशि 50ः50 के स्थान पर अब शासन एवं प्रबन्धतंत्र के मध्य क्रमशः 95ः05 होगी। किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में इस प्रयोजन से खोले गये स्वतंत्र खाते में जिला विद्यालय निरीक्षक, वित्त एवं लेखाधिकारी के साथ ही साथ प्रबन्धकों की सहभागिता भी सुनिश्चित की गयी है।

शिक्षा निदेशक (मा0) द्वारा स्वीकृत धनराशि जनपदों को 40ः40ः20 के अनुपात में आवंटित की जायेगी, जिसे प्रबन्धक, वित्त एवं लेखाधिकारी तथा जिला विद्यालय निरीक्षक के पद नाम से किसी राष्ट्रीयकृत बैंक में खोले गये संयुक्त खाते द्वारा संचालित किया जायेगा।

प्रदेश के विद्यालयों में समय से कार्य पूर्ण कराये जाने का उत्तरदायित्व शिक्षा निदेशक (मा0) उ0प्र0 का होगा। निर्माण कार्यों की गुणवत्ता बनाये रखने हेतु 04 स्तरों पर (यथा-नींव भराई, प्लिंथ निर्माण, लिंटेल ढलाई एवं छत की ढलाई के समय) थर्ड पार्टी निरीक्षण/पर्यवेक्षण की भी व्यवस्था की गयी है।