गोरखपुर की राप्ती नदी पर बनेगा ‘रिवर फ्रंट’:अयोध्या की तर्ज पर तैयार होगा श्रीराम घाट

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(www.arya-tv.com) गोरखपुर की राप्ती नदी के तट पर भी रिवर फ्रंट बनाया जाएगा। श्रीराम घाट और श्रीगोरक्ष घाट पर तीन किलोमीटर की लंबाई में इस रिवर फ्रंट को अयोध्या की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। हालांकि, अयोध्या में सरयू नदी पर बनाए गया सरयू रिवर फ्रंट भारत देश के के सबसे लंबे घाटों में से एक है। इस रिवर फ्रंट की लंबाई 6 किलोमीटर है।

लेकिन, अब यूपी सरकार गोरखपुर के राप्ती नदी पर ‘राप्ती रिवर फ्रंट’ का निर्माण की तैयारी में है। हालांकि, राप्ती रिवर फ्रंट की लंबाई 2 किलोमीटर होगी। यह रिवर फ्रंट गोरखपुर को एक नई पहचान प्रदान देगा।

शासन ने मांगा प्रस्ताव
नगर आयुक्त अनिवाश सिंह ने बताया, ”राप्ती रिवर फ्रंट डेवलपमेंट और घाट निर्माण के लिए शासन स्तर पर प्रस्ताव मांगा गया है। नदी के दोनों किनारों पर पक्के घाट का दायरा और बढ़ाया जाएगा। इसके लिए जल्द ही कंसलटेंट नियुक्त किए जाएंगे।’’

सलाहकार का भी चयन करेगा नगर निगम
राप्ती नदी के दोनों तरफ तीन किलो मीटर लंबा लाल पत्थरों से घाट बनाया जाएगा। श्री गोरक्षघाट से डोमिनगढ़ तक घाट के निर्माण के साथ शहर क्षेत्र को सुरक्षा भी मिलेगी। नगर निगम इसके लिए जल्द ही सलाहकार का चयन करेगा। ताकि प्रारंभिक स्तर पर विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई जा सके।

सुबह-शाम होंगे योग और संगीत कार्यक्रम
दरअसल, सरकार नदियों में गिरने वाले नालों के आने वाले सीवेज जल को ट्रीट करने के लिए पहले ही STP निर्माण के लिए परियोजनाओं का शिलान्यास कर चुकी है। 1998 में आई राप्ती नदी में बाढ़ के सबसे अधिक उपर बहने के स्तर को ध्यान में रख घाट का निर्माण कराया जाएगा।

इन घाटों पर वाराणसी की तर्ज पर सुबह और शाम योग और संगीत के कार्यक्रम आयोजित होंगे। राप्ती नदी पर होने वाली संध्या आरती का विस्तार भी होगा। मुख्य अभियंता संजय चौहान ने अधिकारियों के साथ राप्ती तट का निरीक्षण भी किया है।

पयर्टन को मिलेगा बढ़ावा
वहीं, इस रिवर फ्रंट के बन जाने से राप्ती नदी पर पयर्टन विकास की योजनाओं को नई उड़ान मिलेगी। इन घाटों पर नौकायन, फूड कोर्ट और अन्य मनोरंजक परियोजनाओं के शुरू होने से रोजगार एवं आय के नए अवसर भी होंगे।

पर्यावरण संरक्षण भी होगा
वन एवं पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत संस्था हेरिटेज फाउंडेशन की संरक्षिका डॉ अनिता अग्रवाल ने कहा, ”राप्ती रिवर फ्रंट के निर्माण से नदी की स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान मिलेगा। यहां गंदगी कम होगी। ड्रेजिंग कर नदी की गहराई भी बढ़ाई जाएगी। ताकि यहां सरकार की सी-प्लेन संचालन और वाराणसी की तर्ज पर क्रूज आदि के संचालन भी शुरू हो सकेगा।”