आगरा (www.arya-tv.com) मौसम ठंडा होने के साथ डेंगू फैलाने वाला मच्छर भी दम तोड़ रहा है, शहर को अब डेंगू के कहर से धीरे धीरे राहत मिल रही है। 97 दिन बाद रविवार को सरोजनी नायडू मेडिकल कालेज के मेडिसिन और बाल रोग विभाग के डेंगू वार्ड खाली हो गए। 14 साल में डेंगू के सर्वाधिक केस इस साल मिले हैं। 14 अगस्त को एसएन के डेंगू वार्ड में पहला मरीज भर्ती हुआ। यहां बाल रोग और मेडिसिन विभाग में अलग अलग डेंगू वार्ड बनाए गए। मरीजों की संख्या बढ़ने पर मेडिसिन विभाग में एक और अतिरिक्त वार्ड बनाया गया। 40 से 50 डेंगू के मरीज वार्ड में भर्ती रहे। नवंबर में डेंगू के केस कम होने लगे हैं, नए केस में सामान्य लक्षण के साथ मरीज मिल रहे हैं। इन्हें भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ रही है।
सीएमओ डा. अरुण श्रीवास्तव ने बताया कि सरकारी अस्पताल में कोई मरीज भर्ती नहीं है। रविवार को छह नए केस मिले हैं। अभी तक 1075 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। डेंगू से सात मरीजों की मौत हुई है। 2007 में डेंगू के केस आने शुरू हुए थे, पहले साल डेंगू के 86 मरीज मिले थे।एसएन में 425 मरीज हुए भर्ती, 418 हुए ठीक एसएन के प्राचार्य डा. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि 14 अगस्त से 21 नवंबर तक एसएन में डेंगू के 425 मरीज भर्ती हुए। इसमें से दो मरीजों की मौत हो गई। एक मरीज अपनी मर्जी से दूसरे अस्पताल में इलाज कराने के लिए चला गया और तीन मरीज गायब हो गए। 418 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। अब कोई मरीज भर्ती नहीं है।
आगरा में सोमवार सुबह अच्छी धूप निकलने पर छाता लेकर जाती पर्यटक।
एसएन में निश्शुल्क, निजी अस्पताल में एक से डेढ़ लाख का खर्चा
एसएन में डेंगू के इलाज का पांच दिन का सरकारी खर्चा, मरीजों के लिए निश्शुल्क
बुखार आने पर पैरासीटामोल टैबलेट और सीरप- 30 से 40 रुपये
शरीर में पानी की कमी होने और उल्टी होने पर फ्लूइड और उल्टी की दवा -400 से 500 रुपये
निजी अस्पताल का बिल
एक दिन का बेड का चार्ज – पांच से 10 हजार रुपये
दवाओं का खर्चा – चार से पांच हजार रुपये प्रतिदिन
हर रोज जांच का खर्चा -दो से तीन हजार रुपये प्रतिदिन
डाक्टर की फीस – एक डाक्टर के दो बार देखने पर तीन हजार रुपये प्रतिदिन
आइसीयू में भर्ती होने पर – 25 से 30 हजार रुपये प्रतिदिन
डेंगू वायरल संक्रमण है, इसका कोई इलाज नहीं है। लक्षण के आधार पर डेंंगू के मरीजों को बुखार आने पर पैरासीटामोल टैबलेट और इंजेक्शन दिए गए। उल्टी की दवा, पानी की कमी न हो इसके लिए आइवी फ्लूइड चढ़ाया गया। रक्तस्राव होने पर ही प्लेटलेट्स चढ़ाए गए, 10 हजार से प्लेटलेट्स काउंट पहुंचने और रक्तस्राव न होने पर प्लेटलेट्स नहीं चढ़ाए गए। डा. मृदुल चतुर्वेदी, डेंगू प्रभारी, एसएन मेडिकल कालेज
साल दर साल डेंगू के केस
2007 – 86
2008 -23
2009 -27
2010 -65
2011 -32
2012 -54
2013 -109
2014- 62
2015 – 219
2016 -329
2017- 64
2018 -190
2019- 144
2020 – 25
2021 -1075