(www.arya-tv.com) अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के षोडशी संस्कार पर मंगलवार को अखाड़ों की आपसी फूट खुलकर सामने आ गई। महंत की षोडशी पूजा, पुष्पांजलि, भंडारा और बाघंबरी मठ के नए महंत के पट्टाभिषेक से तीन वैष्णव(वैरागी) अखाड़ों के पीठाधीश्वरों, महामंडलेश्वरों और महंतों ने दूरी बना ली।
चादर भेजना तो दूर, वह इस आयोजन से पूरी तरह अलग रहे। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष की षोडशी से तीन अखाड़ों के अलग होने को अखाड़ों में बड़ी टूटन के तौर पर देखा जा रहा है। निरंजनी अखाड़े के संतों ने इसे पुरानी नाराजगी भी बताई और वैरागियों -संन्यासियों के बीच महीनों पहले से अध्यक्ष पद को लेकर चल रही खींचतान भी।
महंत नरेंद्र गिरि के षोडशी संस्कार में 13 में से सिर्फ 10 अखाड़े ही शामिल हुए। वैष्णवों में वैरागी संप्रदाय के तीन अखाड़ों में दिगंबर अनी अखाड़ा, निर्वाणी अनी अखाड़ा और निर्मोही अनी अखाड़ा के संतों के न आने से समारोह के दौरान ही तरह-तरह की अटकलें शुरू हो गईं। महंत की मौत के दूसरे दिन हत्या का आरोप लगाने वाले भाजपा के पूर्व सांसद महंत राम विलास वेदांती, राम मंदिर विवाद के पक्षकार रहे महंत धर्मदास भी इस खास आयोजन से दूर रहे।
षोडशी के आयोजन से दूरी बनाने के सवाल पर महंत धर्मदास ने कहा कि नया महंत बनाने और महंतई चादर ओढ़ाने का यह निरंजनी अखाड़े के भीतर का मामला था। ऐसे आयोजनों में जाने का कोई औचित्य नहीं बनता। वैसे भी महंत की मौत की विदाई वह लेना नहीं चाहते थे। वह भारी मन से यह भी कहते हैं कि सीबीआई जांच से पहले नए महंत की चादर विधि कैसे हो गई? इस सवाल पर भी लोगों को सोचना चाहिए। फिर, भी वे इस पचड़े में नहीं पड़ना चाहते।
इसी तरह वैष्णव परंपरा के संत रामानुजाचार्य घनश्यामाचार्य ने बताया कि वह एक धार्मिक आयोजन में हिस्सा लेने मध्यप्रदेश आ गए हैं। ऐसे में षोडशी में हिस्सा नहीं ले पाना संभव नहीं था। हालांकि अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि इस प्रकरण को अध्यक्ष पद के पुराने विवाद से जोड़कर देख रहे हैं। उनका कहना है कि हरिद्वार कुंभ में ही वैरागी अखाड़ों से दूरी बन गई थी।
वैरागी परंपरा के तीनों अखाड़े के संत चाहते हैं कि उनके कुनबे से ही अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष बनाया जाए। चूंकि पिछले दो बार से परिषद के अध्यक्ष और महामंत्री के दोनों पद संन्यासी अखाड़ों के ही पास हैं। इसके अलावा भी हरिद्वार कुंभ में भूमि आवंटन को लेकर वैरागी अखाड़े नाराज हो गए थे। दूसरी वजह वह कोरोना संक्रमण को भी मानते हैं। उनका कहना है कि कोविड प्रोटोकॉल की वजह से भी तीनों अखाड़े इस आयोजन से दूर हो सकते हैं।
वैष्णव परंपरा के तीनों अखाड़े बीते अप्रैल में हरिद्वार कुंभ में शाही स्नान से पहले ही हमसे अलग हो गए थे। चूंकि नरेंद्र गिरि ही उस समय अध्यक्ष थे, इसलिए उनसे उन अखाड़ों की पुरानी नाराजगी चली आ रही है। इस वजह से षोडशी समारोह में विवाद बढ़ने की आशंका से उन तीनों अखाड़ों के संतों को बुलाया ही नहीं गया था।
