संकट में प्रियंका और सिंधिया, राहुल ने किया इशारा

National UP

लोकसभा चुनाव 2019 में भी नरेंद्र मोदी की सुनामी के आगे राहुल गांधी को शिकस्त खानी पड़ी। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की नैया बचाने ऐन वक्त पर मैदान में उतरी प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया भी कुछ नहीं कर पाए। इसके बाद से लगातार सवाल उठने लगे हैं कि हार का ठीकरा सिर्फ राहुल गांधी के सर पर ही क्यों फोड़ा जाए।

बैठक में राहुल ने क्या कहा था

दिल्ली स्थिति राहुल गांधी के घर में बुधवार को कांग्रेस यूथ कार्यकर्ताओं की बैठक में एक कार्यकर्ता ने राहुल गांधी से कहा कि चुनाव की जिम्मेदारी सबकी थी फिर हार के लिए सिर्फ आप ही क्यों इस्तीफा दे रहे हैं। इसके बाद से राहुल गांधी का दर्द सामने आया था। उन्होंने कहा था कि चुनाव के बाद मैंने इस्तीफे की बात कही, पर कांग्रेस के एक भी मुख्यमंत्री, महासचिव या फिर प्रदेश अध्यक्ष ने हार की जिम्मेदारी नहीं ली।

इन दो नेताओं की थी जिम्मेदारी

राहुल की इन बातों से सवाल उठने लगे हैं कि क्या उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी संभालने वाले प्रियंका गांधी और ज्योतिरादित्य सिंधिया  भी हार की जिम्मेदारी लेंगे। दरअसल लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को जमीनी स्तर पर मजबूती देने के लिए प्रियंका गांधी को महासचिव बनाया गया। साथ ही पूर्वी उत्तर प्रदेश प्रभारी की जिम्मेदारी भी सौंपी गई थी, जबकि पश्चिम यूपी का प्रभारी ज्योतिरादित्य सिंधिया को बनाया गया था। सूबे की 80 लोकसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश में कांग्रेस 67 सीटों पर चुनाव लड़ी। बाकी 13 में से कुछ सीटें ऐसी रहीं जहां पार्टी ने दूसरे को समर्थन किया था।

राहुल गांधी को उम्मीद थी कि इस चुनाव में वह प्रियंका और सिंधिया के सहारे यूपी में मोदी मैजिक को तोड़ देंगे लेकिन स्थिति बिल्कुल अलग हो गई। यूपी में 80 सीटों में कांग्रेस सिर्फ रायबरेली पर ही जीत हासिल कर पाई। जबकि राहुल खुद अमेठी में अपनी परंपरागत सीट गवा बैठे। इसके बाद से अब सवाल उठने लगा है कि ये दोनों नेता भी हार की जिम्मेदारी क्यों नहीं लेते।

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की इतनी बुरी हालत आपातकाल के दौर में हुई थी, जब 1977 में पार्टी का सूबे में खाता तक नहीं खुला था।