(www.arya-tv.com) इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को अटाला हिंसा पर सुनवाई की। मास्टरमाइंड जावेद मोहम्मद उर्फ पंप के घर को ढहाए जाने के मामले में उसको कोर्ट से राहत नहीं मिली है। यूपी सरकार की ओर से प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने 24 घंटे में अपना जवाब दाखिल कर दिया है। अगली सुनवाई 7 जुलाई को होगी।
यूपी सरकार ने अपने जवाब में कहा, “जावेद मोहम्मद उर्फ पंप का घर गिराए जाने से पहले हर पहलू का ध्यान रखा गया था। घर पूरी तरह से अवैध था। घर के किसी भी हिस्से का नक्शा पास नहीं कराया गया था। नक्शे के लिए कभी आवेदन भी नहीं किया गया था। इसलिए घर को कानून के तहत ही गिराया गया।”
राज्य सरकार की तरफ से अटाला हिंसा में जावेद पंप की भूमिका का भी जिक्र किया गया है। कहा गया है, “जावेद ने प्रयागराज शहर को हिंसा की आग में झोंकने का काम किया है।”
जावेद की पत्नी परवीन ने दाखिल किया था आवेदन
जावेद अहमद की पत्नी परवीन फातिमा की ओर से दायर याचिका की सोमवार को सुनवाई होनी थी। कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। दूसरी बेंच को केस ट्रांसफर करने को कहा था। इसके बाद चीफ जस्टिस ने इस केस को जस्टिस अंजनी मिश्रा की अगुआई वाली डबल बेंच के सुपुर्द कर दिया था।
मंगलवार 28 जून को इस केस की सुनवाई हुई। जस्टिस अंजनी मिश्रा ने राज्य सरकार और PDA (प्रयागराज विकास प्राधिकरण) से घर गिराए जाने के मामले में 24 घंटे में जवाब दाखिल करने के लिए कहा। 30 जून को कार्रवाई रिपोर्ट के साथ प्रदेश सरकार और PDA के अधिकारियों को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया था। इसी क्रम में आज सुनवाई के दौरान सरकार और PDA ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है।
मकान अवैध तरीके से तोड़ने की शिकायत
आवेदन में परवीन फातिमा ने अवैध तरीके से मकान तोड़ने की शिकायत की है। दोबारा मकान बनने तक रहने के लिए सरकारी आवास मुहैया कराने की मांग की है। परवीन फातिमा ने लिखा है कि जिस मकान को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया। वह उसके नाम पर है न कि उसके शौहर जावेद के नाम पर। ये मकान उनको उनके पिता से उपहार में मिला था। नगर निगम और राजस्व दस्तावेजों में परवीन का ही नाम दर्ज है।
थाने लाई थी पुलिस, फिर नोटिस भी नहीं मिली
परवीन ने बताया कि अटाला हिंसा के बाद उसे और उसकी बेटी सुमैया फातिमा को पुलिस महिला थाने उठा ले गई। पुलिस गई और नोटिस चस्पा कर चली आई। उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों को इसकी जानकारी भी नहीं हुई। 12 जून को मकान ध्वस्त कर दिया गया। इन सब घटनाओं की सही तरीके से उन्हें और उनके परिवार को जानकारी तक नहीं हो सकी। नोटिस भी उसके पति के नाम दिया गया और याची को अपील दाखिल करने या पक्ष रखने का कोई मौका दिए बगैर मकान ध्वस्त कर दिया गया।