​​​​​​​काशी में पाकिस्तानी महादेव मंदिर:देश के बंटवारे के समय दो व्यापारी लाहौर से लेकर आए थे शिवलिंग, गंगा किनारे है मंदिर

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(www.arya-tv.com) काशी में इन दिनों शिव भक्तों की भक्ति चरम पर है। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में देश के बंटवारे के दर्द का प्रतीक एक ऐसा मंदिर भी है जहां के शिवलिंग को पाकिस्तानी महादेव कहा जाता है। गंगा किनारे शीतला घाट पर पाकिस्तानी महादेव के मंदिर में रोजाना भक्तों की भीड़ जलाभिषेक के लिए उमड़ती है।

आइए, बताते हैं कि क्या है पाकिस्तानी महादेव की कहानी…।

लाहौर से लेकर आए थे दो व्यापारी
काशी के बुजुर्गों और मंदिर के पुजारी अजय कुमार शर्मा के अनुसार, देश के बंटवारे के समय व्यापारी जमुना दास और निहाल चंद्र लाहौर से यहां आए थे। वह अपने साथ एक शिवलिंग भी लाए थे। उनकी इच्छा थी कि वह शिवलिंग को गंगा में प्रवाहित कर देंगे। दोनों व्यापारी शीतला घाट पहुंचे और शिवलिंग प्रवाहित करने के लिए बढ़े तो वहां मौजूद लोगों ने उन्हें रोक दिया।

इसके बाद उस शिवलिंग को बूंदी स्टेट के राजा की प्रॉपर्टी पर शीतला घाट पर ही स्थापित कर दिया गया। लाहौर से लाए जाने के कारण लोगों ने शिवलिंग का नाम पाकिस्तानी महादेव कर दिया और उसकी पूजा होने लगी।

सरकारी कागजात में भी दर्ज है नाम
स्थानीय लोगों के अनुसार पाकिस्तानी महादेव मंदिर का नाम नगर निगम और वाराणसी विकास प्राधिकरण के सरकारी कागजात में भी दर्ज है। शीतला घाट के विनय पांडेय ने बताया कि वैसे तो स्थानीय लोग रोजाना ही गंगा स्नान कर पाकिस्तानी महादेव के शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं।

सावन के महीने में और महाशिवरात्रि के पावन पर्व पर यहां शिव भक्त अच्छी-खासी संख्या में आते हैं। अब गंगा का जलस्तर बढ़ रहा है तो धीरे-धीरे घाट उसकी जद में आकर डूब जाएंगे। पानी कम होगा तो फिर साफ-सफाई होगी और पाकिस्तानी महादेव के मंदिर में फिर से पूजा-अर्चना शुरू हो जाएगी।