हैरान करता है नरू बिजोला का 500 साल पुराना 3 मंजिला घर, लकड़ी-पत्थर का मकान झेल चुका कई भूकंप

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(www.arya-tv.com)  उत्तराखंड में कई ऐसी पौराणिक और ऐतिहासिक धरोहर हैं, जो वर्षों बाद भी मजबूती के साथ खड़ी हैं. इनकी स्थापत्य कला ही है कि कई भूकंपों का सामना करने के बाद भी ये भवन अपने स्थान पर जस के तस हैं. ऐसा ही एक ऐतिहासिक घर उत्तरकाशी के तिलोथ गांव (गंगा घाटी) में भी है. यह 500 साल पुराना तीन मंजिला घर दो भाइयों नरू और बिजोला का है. इन भाइयों की प्रेम गाथा आज भी उत्तराखंड में सुनाई देती है. तब गंगा घाटी और रवांई घाटी के बीच दुश्मनी थी. दोनों भाइयों को रवांई घाटी की एक लड़की पसंद आ गई. कुछ दिन प्रेम प्रसंग चला, लेकिन विवाह के लिए रवांई घाटी के लोग नहीं मान रहे थे.दुश्मनी और परंपराओं को तोड़ते हुए उन्होंने लड़की से शादी की और इसी घर में रहे.

बदलते वक्त के साथ यह मकान अब जर्जर हो चुका है, तो वहीं संरक्षण न मिलने के चलते गुमनाम होने की कगार पर भी है.उत्तराखंड के लोक साहित्य पर कार्य कर चुके गढ़वाल विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर डॉ कपिल पंवार बताते हैं कि नरू बिजोला की प्रेम गाथा और शौर्य उत्तराखंड में काफी लोकप्रिय है, लेकिन बीते समय में जनप्रतिनिधि इस चीज से बचते थे क्योंकि उस दौरान रवांई और गंगा घाटी में आपसी संबंध ठीक नहीं थे. वर्तमान में इस तरह की कोई स्थिति नहीं है. आज दोनों जगहों के लोगों में आपसी सौहार्द है. सभी अपने आप को उत्तरकाशी और देवभूमि का हिस्सा मानते हैं. न ही अब किसी को इन चीजों से आपत्ति है. ऐसे में सरकार चाहे तो नरू बिजोला की ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित कर सकती है. आज तिलोथ गांव नगर पालिका का हिस्सा है. इस तीन मंजिला घर को विरासत के रूप में संजोया जा सकता है. साथ ही इससे यहां पर्यटन भी बढ़ेगा.

हैरान करता है 500 साल पुराना घर

तिलोथ गांव में स्थित नरू बिजोला का 500 साल पुराना तीन मंजिला लकड़ी का मकान दिखने में जितना अद्भुत है, इसकी मजबूती लोगों को उतना ही आश्चर्य में डालती है. अब तक न जाने कितने छोटे-बड़े भूकंपों का सामना करने के बाद भी यह लकड़ी और पत्थर से बना मकान अडिग खड़ा है. जिन लोगों को नरू बिजोला की कहानी मालूम है, वह चारधाम यात्रा के दौरान इस मकान को देखने भी पहुंचते हैं.

नाग देवता के उपासक थे नरू बिजोला

तिलोथ गांव में नाग देवता का मंदिर भी है. गांव के विकास नौटियाल बताते हैं कि नरू बिजोला नाग देवता के उपासक थे. यहां उनके द्वारा नौटियाल परिवार को नाग देवता की पूजा-अर्चना के लिए बसाया गया. यहां मौजूद नरू बिजोला से जुड़ी ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षित करने की नितांत जरूरत है. वह कहते हैं कि कई साहित्यकार अलग-अलग तरीके से नरू बिजोला के प्रेम, शौर्य, पराक्रम को बयां करते हैं. जरूरत है कि इतिहास को सही से एकत्र किया जाए और संस्कृति विभाग इन ऐतिहासिक धरोहरों को सुरक्षित रखे. स्थानीय लोगों द्वारा इसे संरक्षित करने की कोशिश की गई लेकिन इतना प्रयास काफी नहीं है.