सुप्रीम कोर्ट में रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर 6 अगस्त से शुरू हुई रोजाना सुनवाई का आज चौथा दिन है. शुक्रवार को रामलला के वकील अपनी दलीलों को आगे बढ़ाएंगे. इस महत्वपूर्ण मसले को सुनने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अपनी एक परंपरा तोड़ दी है. रोजाना सुनवाई के तहत हफ्ते में तीन दिन सुनवाई होती थी, लेकिन इस मामले की सुनवाई अब हफ्ते में पांच दिन होगी.
अयोध्या मामले की सुनवाई शुरू हो गई है. शुक्रवार को सुनवाई शुरू होते ही मुस्लिम पक्ष की तरफ से कोर्ट के सामने अपील की गई है कि वह हफ्ते में पांच दिन सुनवाई के लिए कोर्ट की मदद नहीं कर सकते हैं. सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन ने कहा है कि ये सिर्फ एक हफ्ते का मामला नहीं है, बल्कि लंबे समय की दिक्कत है. उन्होंने कहा कि हमें दिन-रात अनुवाद के कागज पढ़ने और अन्य तैयारियां करनी पड़ती हैं. इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा है कि हमने आपकी बात सुन ली है, हम आपको बताएंगे.
सुप्रीम कोर्ट ने तोड़ी परंपरा
रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर पूरे देश की नज़र है, ये मामला पिछले कई दशकों से अटका हुआ है. ऐसे में अबकी बार अदालत इसकी फाइनल सुनवाई कर रहा है और अब ये मामला एक तरह से फास्ट ट्रैक हो गया है. यही कारण रहा कि अदालत ने गुरुवार को कहा कि अब इस मामले की सुनवाई हफ्ते के पांच दिन की जाएगी.
13 अगस्त यानी मंगलवार की कॉज लिस्ट में इस मामले का नाम शामिल है. सोमवार को ईद पर अदालत की छुट्टी रहेगी, इसलिए अगले हफ्ते मंगल-बुध-गुरु और शुक्रवार को मामले की सुनवाई होगी. अभी तक रोजाना सुनवाई का मतलब हफ्ते में तीन दिन यानी मंगल-बुध-गुरुवार को होती थी.
रामलला के वकील ने रखे थे तर्क
गुरुवार को सुनवाई के दौरान रामलला के वकील के. परासरण ने अपने तर्क रखे. इस दौरान अदालत में सवाल-जवाब का सिलसिला चला. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और अन्य जजों की संविधान पीठ ने रामलला के वकील से कई तरह के सवाल पूछे. अपनी बात कहते हुए के. परासरण ने कहा कि रामजन्मभूमि उनके लिए एक सजीव है और वह उनकी पूजा करते हैं.
दरअसल, अदालत ने सुनवाई के दौरान पूछा था कि क्या रामजन्मभूमि भी गंगा की तरह एक इंसान हैं. जिसके जवाब में के. परासरण ने कई ऐतिहासिक और पौराणिक तथ्यों का जिक्र किया था. रामलला के वकील से पहले निर्मोही अखाड़ा भी अपने तर्क अदालत के सामने रख चुका है.