(www.arya-tv.com) जुलाई का पहला हफ्ता बीतने के बाद देश के इक्विटी मार्केट में विदेशी निवेशकों ने करीब 22,000 करोड़ रुपये का निवेश कर दिया है। वहीं दूसरी ओर चीन फॉरेन इंवेस्टर्स को तरस रहा है। अब जो प्लान मोदी सरकार ने बनाया है, उससे चीन की सांसें ऊपर नीचे हो सकती है। जी हां, सरकार ने ‘सुपर 30’ प्लान तैयार किया है। इस प्लान से दुनिया की 106 कंपनियों को साधने की कोशिश की जाएगी। इन कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए कहा जाएगा। इस प्लान को कई डिपार्टमेंट के अधिकारियों ने मिलकर तैयार किया है और जल्द ही इस अमल भी हो सकता है।
सवाल यह है कि आखिर ये सुपर 30 प्लान है क्या? चलिये आपको भी इस बारे में विस्तार से बताते हैं। यह सरकार की इंवेस्टमेंट प्रमोशन स्कीम है। इसके लिए सरकार ने 30 और वहां की 106 कंपनियों की पहचान की है।
जहां पर रोड शो और कांफ्रेंस के माध्यम से निवेश के लिए प्रोस्साहित किया जाएगा। सरकार के सीनियर ऑफिशियल के अनुसार 30 देशों में 30 सेक्टर्स की 106 कंपनियों की पहचान की गई है और इस लिस्ट को बढ़ाया जाएगा। निवेश के लिए अमेरिका, कनाडा, जापान, सऊदी अरब, जर्मनी, यूके, स्वीडन, जापान, ताइवान और दक्षिण कोरिया में रोड शो की योजना बनाई गई है। भारत में निवेश करने के लिए जिन कंपनियों को सेलेक्ट किया गया है उनके चीफ के साथ मीटिंग्स भी की जा रही है।
अधिकारी ने कंपनियों के नाम का खुलासा किए बिना कहा इंवेस्टमेंट प्रमोशन नया प्लान पूरी तरह से अलग है। देश ग्लोबल वैल्यू चेन का हिस्सा बनने के लिए ग्लोबल ट्रेड में इंडियन एक्सपोर्ट का विस्तार करना चाहता है।
अधिकारी ने कहा कि ग्लोबल ट्रेड वैल्यू चेन में हो रहा है और इसके लिए मैन्युफैक्चरिंग की जरुरत है। प्लान का फोकस इसी बात पर है कि कि भारत जो भी कुछ मैन्युफैक्चर करें वो एक्सपोर्ट ओरिएंटिड हो। देश की सरकार चाहती है कि इसमें सिर्फ विदेशी कंपनियां ही ना रहें बल्कि विदेशों में रह रहे भारतीयों पर भी फोकस किया जाए।
सरकार निवेश के लिए जो पिच तैयार कर रही है उसमें 14 इंडस्ट्री सेक्टर्स के लिए पीएलआई स्कीम, लिबरल फॉरेन डायरेक्ट इंवेस्टमेंट नॉर्म्स के माध्यम से व्यापार को सरल बनाने के प्रयास, बढ़ते लोकलन मार्केट का साइज और लॉजिस्टिक्स सुधार के माध्यम से व्यापार करने की लागत को कम करने जैसी पाॅलिसी शामिल होंगी। खास बात तो ये है कि प्लान में मार्केटिंग इवेंस्ट्स के माध्यम से एक्सपोर्ट को बढ़ावा देने के लिए 12 देशों की पहचान की है।
भारत में एफडीआई (इक्विटी) फ्लो पिछले वित्तीय वर्ष में सालाना आधार पर 22 फीसदी घटकर 46 बिलियन डॉलर रह गया। पिछले पांच महीनों से एक्सपोर्ट नेगेटिव देखने को मिल रहा है। मई में निर्यात सालाना आधार पर 10.3 फीसदी घटकर 34.98 बिलियन डॉलर हो गया।
इस गिरावट के कारण महीने के दौरान व्यापार घाटा बढ़कर पांच महीने के उच्चतम स्तर 22.12 अरब डॉलर पर पहुंच गया। वित्त वर्ष 2023-24 के पहले दो महीनों में निर्यात 11.41 फीसदी घटकर 69.72 बिलियन डॉलर रह गया।