वाराणसी (www.arya-tv.com) कोविड की दूसरी लहर में जब दुकानों का शटर डाउन था। जिला लाकडाउन था तो मनरेगा ही गरीबों का सबसे बड़ा संबल बना। राशन की दुकानों से भले ही निःशुल्क खाद्यान्न गरीबों को मिला लेकिन पॉकेट व घर चलाने की धनराशि की व्यवस्था मनरेगा से ही हो सकी।
सरकारी आंकड़े यह बताते हैं कि जिले में इस वित्तीय वर्ष में 9 लाख 31 हजार 706 मानव दिवस सृजन का लक्ष्य निर्धारित किया गया था, या यूं कहें कि इतने लोगो को मनरेगा में काम देने का लक्ष्य सरकार ने रखा था। अगस्त के पहले पखवारे तक 6 लाख 26 हजार 598 लोगों को काम दिया गया। यह जिले की बड़ी उपलब्धि इस वजह से भी है कि कोविड की दूसरी लहर में जब किसी के पास काम नहीं था, गरीबों का सर्वाधिक विश्वास मनरेगा पर रहा और मनरेगा ने निराश नहीं किया।
सरकार ने निर्माण पर सर्वाधिक दिया जोर : प्रदेश सरकार ने लाकडाउन के दौरान गांवों में सर्वाधिक जोर निर्माण कार्य पर दिया। इतना ही नहीं पंचायतों के जारी सभी बजट को सिर्फ सामुदायिक शौचालय व पंचायत भवन के निर्माण पर लगाने का आदेश जारी किया। साथ ही इसकी खूब मॉनिटरिंग भी की। नतीजा, आज गांव- गांव सामुदायिक शौचालय व अपडेट पंचायत भवन नजर आ रहे हैं। साथ ही मनरेगा में मजदूरों को रिकार्ड कार्य मिलने की उपलब्धि भी दर्ज हुई।
चोलापुर व सेवापुरी में सर्वाधिक कार्य : ब्लाक चोलापुर में इस वित्तीय वर्ष में सर्वाधिक कार्य हुआ। लक्ष्य एक लाख 22 हजार 315 लोगों को लाभान्वित करने का था और एक लाख 35 हजार 596 लोगों को मनरेगा में काम दिया गया। कुछ यही हाल नीति आयोग के मॉडल ब्लाक सेवापुरी में भी रहा। लक्ष्य एक लाख 19 हजार 561 लोगों को लाभान्वित करने का था। एक लाख 10 हजार 999 लोगों को लाभान्वित किया गया। यह उपलब्धि 93 फीसद रही।
कुछ इस तरह रही ब्लाकवार उपलब्धि
आराजीलाइन- 57 फीसद
बड़ागांव- 65
चिरईगांव-48
चोलापुर-109
हरहुआ-42
काशी विद्यापीठ- 45
पिंडरा-64
सेवापुरी-93