UP के पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाला में ईडी की बड़ी कार्रवाई, करोड़ों रुपये की 7 प्रॉपर्टी जब्त

# ## Lucknow

(www.arya-tv.com)  केन्द्रीय जांच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय यानी ईडी (Directorate of Enforcement) ने एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए यूपी में करीब 100 करोड़ रुपये के कथित तौर पर हुए ” पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाला” मामले में करोड़ों रुपये के सात प्रॉपर्टी को फिलहाल अटैच कर लिया है. इन सातों प्रॉपर्टी का कनेक्शन आरोपियों से साथ है, लिहाजा मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामले में ये कार्रवाई की गई और कथित तौर पर मनी लॉन्ड्रिंग के पैसों से अर्जित सातों बेहद चर्चित प्रॉपर्टी को जांच एजेंसी ईडी की लखनऊ जोन ऑफिस द्वारा अटैच कर लिया गया है.

इन सातों प्रॉपर्टी का सरकारी मूल्य करीब दो करोड़ 84 लाख रुपये है लेकिन आज की तारीख में इन सातों प्रॉपर्टी का बाजार मूल्य इससे कई गुणा ज्यादा है. ईडी द्वारा अटैच की गई प्रॉपर्टी में कई आरोपियों की प्रॉपर्टी है जो प्रमुख तौर पर इस प्रकार से है.

1. सैयद इशरत हुसैन  जाफरी —  इस आरोपी की करीब 52 लाख रूपये का एक फ्लैट को अटैच किया गया है .

2. रचना जाफरी  — ये रचना जाफरी आरोपी सैयद इशरत हुसैन जाफरी की पत्नी है, जिसके नाम से जो प्रॉपर्टी को अटैच किया गया है, जिसका सरकारी मूल्य करीब 76 लाख 55 हजार रुपये है.

3. प्रवीण सिंह चौहान- इस आरोपी का एक फ्लैट अटैच हुआ है, जिसका सरकारी मूल्य करीब 24 लाख रुपये है. इसे प्रवीण सिंह चौहान ने अपनी पत्नी हेमा सिंह के नाम से अर्जित किया था जिसे अब अटैच किया गया है. 

4. राम और श्याम एजुकेशन सोसाइटी- राम और श्याम एजुकेशन सोसाइटी के नाम से एक बहुत ही अच्छे लोकेशन में एक प्रॉपर्टी को खरीदा गया था जिसे रवि प्रकाश गुप्ता नाम के आरोपी ने खरीदा था. इस प्रॉपर्टी का अनुमानित सरकारी मूल्य करीब 35 लाख 50 हजार रुपये आंकी गई है. हालांकि इस प्रॉपर्टी का आज की तारीख में बाजार मूल्य कई गुणा माना जा रहा है.

लखनऊ के थाना में “पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाला” मामला हुआ था दर्ज  

इसी साल 30 मार्च 2023 को लखनऊ स्थित हजरतगंज थाना में “पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति घोटाला” मामला दर्ज हुआ था. थाने में दर्ज एफआईआर के मुताबिक करीब 18 लोगों को मुख्य तौर पर आरोपी के तौर पर मामला दर्ज किया गया था जिनमें कई कॉलेजों के प्रिंसिपल और फिनो पेमेंट्स बैंक के कई कर्मचारियों का भी नाम दर्ज था. इस मामले के बारे में कहा जाता है की जांच एजेंसी ईडी के द्वारा एक तफ्तीश के दौरान कई जानकारी हाथ में लगी थी. उसके बाद कई  महत्वपूर्ण इनपुट्स और सबूतों को हजरतगंज थाना की पुलिस के साथ शेयर किया गया था.

ईडी ने ओवरटेक किया था केस

इसके बाद इस मामले को उस थाना में दर्ज किया गया था. बाद में उसी मामले को आधार बनाते हुए जांच एजेंसी ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत इस केस को टेकओवर कर लिया और कई आरोपियों से विस्तार से पूछताछ की गई थी. इसी मामले को आरोपियों की प्रॉपर्टी अटैच की गई है. हालांकि इस मामले की अगर बात करें तो राज्य सरकार और केंद्र सरकार की डबल इंजन सरकार के द्वारा एक बहुत ही शानदार योजना की शुरुआत की गई थी लेकिन कुछ लोगों की आपसी मिलीभगत और भ्रष्टाचार द्वारा इसे अंजाम दिया गया था.

क्या थी योजना

इस योजना का लाभ पोस्ट मैट्रिक परीक्षा देने वालों के लिए एक छात्रवृत्ति देने का मतलब उसे आर्थिक तौर पर मजबूत करने का था  लेकिन कुछ सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों के आपसी मिलीभगत से स्कॉलरशिप के करोड़ों रुपये का आपस में बंदरबांट करके घोटाले को अंजाम दिया गया था .