333 करोड़ का भूमि घोटाला:अयोध्या-गुप्तारघाट के बीच हजारों हेक्टेयर भूमि नदी डूब क्षेत्र से बाहर

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(www.arya-tv.com) भू-राजस्व अभिलेखों में हेरफेर कर 333 करोड़ का खेल अकेले तत्कालीन लेखपाल ने ही कर लिया। अधिकारी अंजान बने रहे। जब शिकायत बढ़ी तो इस मामले में प्राथमिकी अयोध्या के कैंट थाने में दर्ज कर उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।अयोध्या के माझा जंमथरा क्षेत्र के इस प्रकरण में गड़बड़ी सर्वेक्षण प्रपत्र में करना सामने आया है‌। इस बेहद गंभीर मामले में एक लेखपाल के सिर पर कूटरचना का ठीकरा फोड़ उच्च अधिकारियों को बचाने की जुगत जांच में नजर आने लगी है।

सर्वे अभिलेख के क्रमांक 251-252 के बीच बिना क्रमांक के पाया गया है

सर्वे कानूनगो भरत प्रसाद ने गत माह 29 मार्च को अयोध्या के थाना कैंट में सर्वे लेखपाल जमथरा परमानंद पांडेय के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई है। इस प्राथमिकी में आरोप है कि प्रपत्र 6 पर सहायक अभिलेख अधिकारी के हस्ताक्षर, उनके हस्ताक्षर से मेल नहीं खाते। यही नहीं यह सुरक्षित सर्वे अभिलेख के क्रमांक 251-252 के बीच बिना क्रमांक के पाया गया है।

बताते चलें कि सरयू नदी के तटबंध के निर्माण के बाद अयोध्या और गुप्तार घाट के बीच हजारों हेक्टेयर भूमि नदी क्षेत्र से बाहर हो गई और आज तक यह भूमि डूब क्षेत्र के बाहर दर्ज नहीं की गई भूमाफिया की निगाह इस भूमि पर रही। बंधा बनने और राम मंदिर का फैसला आने के बाद कौड़ी के मोल भी न पूछी जा रही इस क्षेत्र की भूमि की कीमत आसमान छूने लगी।

सर्वे का खेल यहीं से शुरू हुआ और गाटा नदी के अंदर बाहर किया जाने लगा

अधिकांश अवैध कब्जे वाली इस भूमि का सारा क्षेत्र अब भी जमींदारी-मातहती प्रणाली पर ही दर्ज थी। सर्वे का खेल यहीं से शुरू हुआ और गाटा नदी के अंदर बाहर किया जाने लगा। जिले के रसूखदार लोग जिनमें जन प्रतिनिधि और माफिया दोनों शामिल हैं, उन्होंने यहां थोक के भाव जमीन खरीदी है‌।

इस जमीन के खेत की शिकायत सरयू विकास समिति के अवधेश सिंह ने शासन प्रशासन को कर रखी है। इसी शिकायत पर जांच चल रही है। एक और शिकायत क्षेत्रीय सांसद लल्लू सिंह ने भी कर रखी है, जिस पर जांच चल रही है‌

सरयू विकास समिति की शिकायत पर हुई कार्यवाही

सरयू विकास समिति के अध्यक्ष अवधेश कुमार सिंह ने गत वर्ष 8 जुलाई 2022 को लिखित शिकायत की थी कि मांझा जमधरा के जमीनों के कागजात में खेल किया गया है। विभाग ने मामले की जाँच शुरू कराई विभाग में सुरक्षित सर्वेक्षण प्रपत्र-6 का अवलोकन किया तो पता चला कि 251 और 252 के बीच एक प्रपत्र 6 की अंकित प्रविष्टि मिली, लेकिन इसपर कोई क्रमांक दर्ज नहीं था।

तत्कालीन सहायक अभिलेख अधिकारी के हस्ताक्षर से मिलान कराया गया तो हस्ताक्षर भी मेल नहीं खाया। पुलिस को दी गई शिकायत में सर्वे कानूनगो भारत प्रसाद निवासी फकीरपुर मोतीपुर सुजीली जिला बहराइच का कहना है कि तत्कालीन सहायक अभिलेख अधिकारी के हस्ताक्षर फर्जी हैं लेकिन प्रविष्टि पर सर्वे लेखपाल जमधरा परमानन्द पांडेय का हस्ताक्षर है।

तत्कालीन सर्वे लेखपाल के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचना की धारा में नामजद केस दर्ज

ऐसे में सर्वेक्षण प्रपत्र-6 में हुई हेरा फेरी और कूटरचना के लिए सर्वे लेखपाल जिम्मेदार और दोषी है। जिसके चलते रिपोर्ट दर्ज कर करवाई कराई जाय। सीओ सिटी शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि कैट पुलिस ने सर्वे कानूनगो की शिकायत पर तत्कालीन सर्वे लेखपाल के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचना की धारा में नामजद केस दर्ज किया है। मामले की विवेचना कराई जा रही है।