मांगलिक कार्य शीघ्र शुरू होंगे और बजेगी शहनाई, जानिए कब से शुरू होगा शादी विवाह का क्रम

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प्रयागराज (www.arya-tv.com) कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवोत्थान (देवउठनी) एकादशी 15 नवंबर को है। इसी तिथि पर चार माह से शयन कर रहे भगवान विष्णु जाग्रत हो जाएंगे। भगवान विष्णु के जाग्रत होने पर शुभ व मांगलिक कार्य पुन: आरंभ हो जाएंगे। चहुंओर शहनाई की गूंज होगी। गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत, नामकरण, नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ जैसे कार्य होने लगेंगे। भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से शयन पर हैं। इसी कारण शुभ व मांगलिक कार्य बंद हैं।

देवोत्‍थान एकादशी 15 नवंबर को

पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार एकादशी तिथि 14 नवंबर रविवार की सुबह नौ बजे लगकर सोमवार की सुबह 8.52 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के कारण 15 नवंबर को देवोत्थान एकादशी मनाई जाएगी। एकादशी पर भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करके विधि-विधान से पूजन करना चाहिए। उन्हें मिष्ठान, सिंघाड़ा, गन्ना रस अर्पित करके शंख, घंटा-घडिय़ाल बजाकर खुशी मनाना चाहिए।

‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ का कम से कम 108 बार जप करके आशीर्वाद लें। शाम को भगवान शालिग्राम से तुलसी विवाह कराना चाहिए। तुलसी का शालिग्राम से विवाह कराने वाले भगवान विष्णु की कृपा के पात्र बनते हैं। जिन दंपतियों को कन्या नहीं हैं, वे तुलसी को कन्यादान करके पुण्य अर्पित कर सकते हैं।

आचार्य विद्याकांत बोले- देवोत्थान एकादशी पर यह न करें

आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि देवोत्थान एकादशी पर सतर्कता बरतनी चाहिए। गोभी, पालक, शलजम व चावल का सेवन न करें। बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए। किसी पेड़-पौधों की पत्तियां न तोड़े, भूल से भी किसी को कड़वी बातें न बोलें। दूसरे से मिले भोजन को ग्रहण न करें।

आचार्य अविनाश राय ने कहा कि देवोत्थान एकादशी पर यह जरूर करें

आचार्य अविनाश राय के अनुसार देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने दीपक अवश्य जलाना चाहिए। भगवान विष्णु के नाम का कीर्तन भी करना चाहिए। निर्जला व्रत रखकर किसी गरीब और गाय को भोजन कराना चाहिए।