फिर सुर्खियों में टीले वाली मस्जिद का मामला, जानें- क्या हैं हिंदू और मुस्लिम पक्ष के दावे?

# ## Lucknow

(www.arya-tv.com) बड़ा इमामबाड़ा के पास टीले वाली मस्जिद एक बार फिर सुर्खियों में है. लखनऊ की अदालत ने मामले को सुनवाई योग्य माना है. एडीजे प्रथम की कोर्ट ने बुधवार को मुस्लिम पक्ष की रिवीजन याचिका खारिज कर दी. अदालत के फैसले को हिंदू पक्ष की जीत बताया जा रहा है. बता दें कि नृपेंद्र पांडे नामक शख्स ने सिविल जज की कोर्ट में एक वाद दायर किया था. उन्होंने कहा कि मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में लक्ष्मण टीला की पहचान हिंदू धार्मिक स्थल के रूप में हुआ करती थी. लक्ष्मण टीला को ध्वस्त कर मस्जिद बना दी गई. उन्होंने कहा कि औरंगजेब ने लक्ष्मण मंदिर को तोड़कर हिंदू धार्मिक स्थल पर टीले वाली मस्जिद बनाई थी.

एक बार फिर सुर्खियों में टीले वाली मस्जिद

लक्ष्मण मंदिर हिंदू धर्म के लोग पूजा पाठ करते थे. वाद में कहा गया है कि मंदिर की जगह को नष्ट कर दिया गया लेकिन मस्जिद की दीवार के बाहर आज भी शेषनाग पटल कूप, शेषनागेष्ट टीलेश्वर महादेव मंदिर और पुराने हिंदू मंदिर मौजूद हैं. 2022 में बड़ा मंगल पर लक्ष्मण टीला में पूजा करने की कोर्ट से अनुमति मांगी गई थी. मस्जिद के इमाम मौलाना अब्दुल मन्नान रहमानी ने हिंदू पक्ष की मांग का विरोध किया. उन्होंने टीले वाली मस्जिद को वक्फ की संपत्ति बताया. इसलिए पूजा करने की इजाजत नहीं दी जा सकती.

लालजी टंडन की किताब ‘अनकहा लखनऊ’

इस मामले में मौलाना मन्नान की ओर से अर्जी दी गई थी और कहा गया था कि हिंदू पक्ष ने अपना वाद दाखिल करने का कारण नहीं बताया है. इसलिए वाद को खारिज कर दिया जाए. सिविल जज पीयूष भारतीय ने 6 सितंबर 2023 को मौलाना मन्नान की अर्जी खारिज कर दी. निचली कोर्ट के आदेश को मौलाना ने चुनौती दी थी. कल एडीजे कोर्ट ने भी खारिज कर दिया. पूर्व सांसद स्वर्गीय लालजी टंडन की किताब “अनकहा लखनऊ” में दावा किया गया है कि पुराना लखनऊ लक्ष्मण टीले के पास बना हुआ था.

अब लक्ष्मण टीले का नाम पूरी तरीके से मिटा दिया गया है. लक्ष्मण टीले की जगह को अब टीले वाली मस्जिद के नाम से जाना जा रहा है. उन्होंने कहा कि लखनऊ की संस्कृति के साथ जबरदस्ती हुई है. किताब में लिखा है कि लखनऊ का पौराणिक इतिहास  नकार “नवाबी कल्चर” में कैद करने की कुचेष्टा के कारण हुआ. उनके अनुसार लक्ष्मण टीले पर शेष गुफा थी. बड़ा मेला भी लगता था और खिलजी के वक्त गुफा ध्वस्त कर दी गई थी. बार-बार ध्वस्त किए जाने की वजह से जगह टीले में तब्दील हो गई.

अदालत ने माना मामले को सुनवाई योग्य

बाद में औरंगजेब ने एक मस्जिद बनवा दी. 1857 के बाद अंग्रेज गुलाबी मस्जिद पर घोड़े बांधने लगे. उसके बाद राजा जहांगीराबाद की गुहार पर अंग्रेजों ने मस्जिद को खाली कर दिया. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली सपा सरकार में लक्ष्मण टीले का नाम पूरी तरह से मिटाकर “टीले वाली मस्जिद” कर दिया गया.