चौथे दिन ढहा तीन मंजिला ड्रैगन मॉल; LDA ने लगाए थे 20 मजदूर

Lucknow

(www.arya-tv.com)उत्तर प्रदेश में अवैध निर्माण पर प्रशासन का एक्शन जारी है। इसी क्रम में राजधानी लखनऊ में 4 दिन की लगातार कार्रवाई के बाद गुरुवार को लालबाग स्थित अवैध ड्रैगन मॉल गिरा दिया गया। बीते रविवार की दोपहर LDA ने मॉल को मजदूर लगाकर ध्वस्त करना शुरू किया था। बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 3 नवंबर को एक माह के लिए LDA पर कार्रवाई करने से रोक दिया था। तय अवधि खत्म होने के बाद यह कार्रवाई हुई है।

20 मजदूर, हाइड्रोलिक समेत तीन JCB मशीन लगी थी

लाल बाग स्थित तीन मंजिला ड्रैगन मॉल को गिराने में 20 मजदूर बीते 4 दिनों से जुटे थे। मॉल के ज्वाइंट और बाहरी हिस्से को मजदूरों ने तोड़कर पहले कमजोर किया। इसके बाद JCB मशीन से मॉल के छोटे-छोटे हिस्से को गिराया गया। चौथे दिन गुरुवार सुबह हाइड्रोलिक JCB मशीन की मदद से पूरे मॉल को जमींदोज कर दिया गया।

हाईकोर्ट ने एक माह के लिए रोक लगाई थी

दरअसल, ड्रैगन मॉल आवासीय नक्शे पर बना है। एक माह पहले LDA ने इसे सील कर दिया था। इसके खिलाफ मॉल मालिक ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट ने 1 माह के लिए LDA की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने कमिश्नर कोर्ट में लंबित प्रकरण को 1 महीने में निस्तारित करने का आदेश दिया था। DM/LDA VC अभिषेक प्रकाश कहना है कोई भी स्टे नहीं है। टीम कार्रवाई कर रही है। आवासीय नक्शा पास कराकर कामर्शियल कॉम्प्लेक्स बना लिया गया था।

संयुक्त सचिव ऋतु सुहास ने बताया कि लालबाग गर्ल्स कॉलेज की जमीन पर बने ड्रैगन मॉल के अवैध निर्माण के खिलाफ साल 2017 से कार्रवाई चल रही है। तब भी इस मॉल को सील कर दिया गया था, लेकिन हाईकोर्ट ने स्टे लगा दिया था, जो 30 जून 2017 तक प्रभावी था। इसके बाद फिर से सील करने की मांग प्रवर्तन जोन-6 ने की। LDA के आदेश के मुताबिक, मोहम्मद सलीम ने ड्रैगन मॉल ने निर्माण के समय तीन मंजिला नक्शा पास कराया था। लेकिन पांच मंजिला व्यावसायिक निर्माण बेसमेंट सहित बन गया। जिसका उपयोग भी शुरू कर दिया गया। इसके बाद LDA ने धारा 16 और 27 की कार्रवाई की है।

2015 में खत्म कर दिया केस

LDA की प्रवर्तन कोर्ट में यह प्रकरण भी सामने आया कि अवैध ड्रैगन मॉल पर पहले 2014 में कार्रवाई शुरू हुई। केस को 2015 में तत्कालीन विहित प्राधिकारी ने शपथ पत्र लेकर खत्म कर दिया। इसके बाद दोबारा अवैध निर्माण कर मॉल बना लिया गया। इस पर 2017 में कार्रवाई शुरू हुई। जमीन के उपयोग को लेकर भी कॉलेज प्रबंधन में विवाद है।