योगी राज में अब राजधानी लखनऊ का भी बदलेगा नाम! क्यों नई पहचान पर इतिहासकार लगा रहे मुहर

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(www.arya-tv.com) लखनऊः लखनऊ शहर का नाम कई बार बदलने की चर्चाएं हो चुकी हैं. अब एक बार फिर से लखनऊ का नाम बदलने की मांग उठ रही हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर क्यों लखनऊ का नाम बदलकर ‘लक्ष्मणपुर’ ही रखने पर जोर दिया जा रहा है. इस पर जब देश के जाने-माने इतिहासकार डॉ. रवि भट्ट से बात की गई तो उन्होंने बताया कि तमाम इतिहासकारों और लोगों का मानना है कि त्रेता युग में भगवान श्री राम जब रावण को हराकर अयोध्या वापस लौटे तो इस पूरे युद्ध के दौरान उन्होंने अपने छोटे भाई लक्ष्मण का पराक्रम देखा था, जिसे देखते हुए उन्होंने इस लखनऊ शहर को उपहार में अपने छोटे भाई को दे दिया था.

रामायण काल के लोगों ने यह क्षेत्र लक्ष्मण जी को मिल जाने के बाद इसे लक्ष्मणपुर का नाम दे दिया था. कुछ लोग इसे लखनपुर भी कहते थे और कुछ लोग इसे लखनावती भी कहते थे. इसका एक प्रमाण यह भी मिलता है कि जहां पर आज टीले वाली मस्जिद है वहां पर लक्ष्मण टीला हुआ करता था उसके सबूत आज भी हैं. ऐसे में इस सच्चाई को नजरअंदाज करना बेहद कठिन है कि लखनऊ शहर का नाम पहले लक्ष्मणपुर नहीं था.

लालजी टंडन ने भी उठाई थी मांग
स्वर्गीय इतिहासकार डॉ. योगेश प्रवीन ने अपनी किताब लखनऊ नामा में लिखा है कि लखनऊ का पहला नाम लक्ष्मणपुर ही था. इस बात का खंडन पूरे देश भर के किसी भी इतिहासकार ने आज तक नहीं किया है. लखनऊ के बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर सिद्धार्थ शंकर राय ने भी इसी बात पर अपनी पुष्टि की है और मुहर लगाई है कि लखनऊ को पहले लक्ष्मणपुर के नाम से ही पुकारा जाता था. यही नहीं बिहार के पूर्व राज्यपाल स्वर्गीय लालजी टंडन ने एक निजी कार्यक्रम में इसी बात पर अपनी मुहर लगाई थी कि लखनऊ का नाम पहले लक्ष्मणपुर था. दोबारा इसे लक्ष्मणपुर कर देना चाहिए.

नाम नवाबों ने बदला या अंग्रेजों ने…
इस शहर का नाम लक्ष्मणपुर से लखनऊ कैसे पड़ा इसको लेकर लोगों की अलग-अलग राय है. एक तरफ जहां इतिहासकार रवि भट्ट बताते हैं कि अंग्रेजों ने लखनऊ का नाम बदला था जब उन्होंने अवध पर कब्जा कर लिया था. वहीं दूसरी तरफ भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर सिद्धार्थ शंकर राय बताते हैं कि नवाबों ने इस शहर का नाम लक्ष्मणपुर की जगह लखनऊ कर दिया था. वहीं, कुछ इतिहासकारों का ये भी मानना है कि जब अंग्रेजों ने अवध पर कब्जा कर लिया था तो अंग्रेजों ने खुशी में झूमते हुए कहा था ‘LUCK-NOW’ यानी अब हमारा भाग्य चमक गया, जो आगे चलकर लखनऊ कहा जाने लगा.