जानिए ​क्यों मनाया जाता है महापर्व छठ पूजा, किसकी की जाती है कामनां

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वाराणसी (www.arya-tv.com) समस्त चराचर सृष्टि को अपने प्रकाश से जीवन प्रदान करने वाले भगवान भास्कर की आराधना के चार दिवसीय व्रत महापर्व डाला छठ का उल्लास पूरे वातावरण में छा गया है। व्रती श्रद्धालुओं ने पूरे विधि-विधान से नहाय-खाय के साथ सोमवार से व्रत की शुरुआत कर दी। मंगलवार को खरना के बाद व्रती साधक बुधवार की शाम नदियों व सरोवरों के तट पर अस्ताचलगामी भगवान भाष्कर को अ‌र्घ्य देंगी। इसके लिए व्रत के साथ ही समस्त तैयारियां जोरों पर हैं। बाजारों में फलों की अस्थायी दुकानें सज गई हैं। खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ लग गई है।

संतान एवं परिवार कल्याण की कामना से किए जाने वाले व्रत की शुरुआत सोमवार को नहाय-खाय के साथ हुई। इस तीन दिवसीय अति कठिन व्रत का मुख्य एवं सर्वाधिक कठिन व्रत बुधवार को होना है। व्रतियों की तैयारी और सजे बाजार देख ऐसी अनुभूति होने लगी है मानो हर ओर आस्था का प्रवाह लहरा रहा हो। गांव-गांव, नगर-नगर, हर चट्टी-चौराहे पर छठ पूजनोत्सव की तैयारियों में लोग व्यस्त नजर आ रहे हैं। पवित्र नदियों, सरोवरों के तटों पर वेदियां बनकर तैयार हैं। बाजारों में अनूठे फलों से लगायत सूप-सूपेली, दउरी, दीया, कोसी आदि की रंग-बिरंगे टेंटों में अस्थायी दुकानें सजी हुई हैं। चहुंओर भीड़ व खरीदारी का आलम है।

कार्तिक शुक्ल षष्ठी व सप्तमी को प्रमुख रूप से होने वाले इस चार दिवसीय पर्व पर तीन दिनों की उपवास व्रत साधना अत्यंत कठिन है। सोमवार को प्रथम दिन व्रतियों ने स्नानादि से शुद्ध होकर लौकी की सब्जी, चावल और चने की दाल खाकर व्रत शुरू किया। मंगलवार दूसरे दिन पूरे दिन उपवास करने के बाद सायंकाल व्रती खीर-रोटी खाएंगी। इसके बाद बुधवार को 24 घंटे का निराजल मुख्य व्रत आरंभ होगा जो गुरुवार को उदित होते सूर्य को अ‌र्घ्य देने के बाद ही पूर्ण होगा। इसके पूर्व पूरे घर एवं पूजन सामग्री बनाने में लगने वाले अनाजों आदि की साफ-सफाई कर अन्य सारी तैयारियां लगभग पूर्ण कर ली गईं हैं। व्रत के दौरान आहार-विहार व आचार-व्यवहार की शुद्धता का विशेष महत्व है।