जानिए कैसे खास बन रहा चतुर्थी का दिन, 59 साल बाद चित्रा नक्षत्र में गणेश उत्सव

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(www.arya-tv.com) 59 वर्ष बाद ग्रहों का विशेष योग गणेश उत्सव को काफी खास बना रहा है। 1962 में जो संयोग बना था, वही 2021 में भी बन रहा है। 2021 की तरह 1962 में भी चित्रा नक्षत्र का योग बना था। तब भी चंद्रमा शुक्र के साथ तुला राशि में था, सूर्य, बुध, शुक्र और शनि अपनी अपनी राशि में विचरण कर रहे थे। 5 दशक बाद बन रहे इस संयोग को ज्योतिष के विद्वान कई मायने में सकारात्मक परिणाम देने वाला बता रहे हैं। इस विशेष योग में आरंभ की गई पूजा उपासना काफी शुभफल देने वाली होती है।

ऐसे बन रहा है गणपति उपासना का संयोग
ज्योतिष के विद्वान डॉ श्रीपति त्रिपाठी के मतानुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी कहा जाता है। यह विशेष तिथि शुक्रवार को चित्रा नक्षत्र में पड़ रही है। ज्योतिष विद्वान सतीश मणि त्रिपाठी का मत है कि इस दिन चंद्रमा तुला राशि में शुक्र के साथ रहेगा, सूर्य सिंह में बुध कन्या में होंगे, वहीं शनि मकर में और शुक्र का स्थान तुला में होगा। 4 ग्रह अपनी ही राशि स्वराशि में विराजमान रहेंगे। ज्योतिष विद्वानों का कहना है कि गुरु कुंभ राशि में रहेगा। इस राशि में दो बड़े ग्रह गुरु और शनि वक्री हैं। ज्योतिष के विद्वानों ने ऐसे संयोग को 59 वर्ष बाद आने की बात कही है।

कोरोना के कारण प्रभावित हुआ उत्सव
ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि विशेष नक्षत्र और संयोग में पड़ रहे गणेश उत्सव पर पूजन का काफी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा। गणपति उपासना के दौरान नीले और काले रंग के वस्त्र का परहेज करना चाहिए लाल या पीला रंग का कपड़ा पहनकर उपासना करना शुभ होगा।

विधिविधान से घरों में पहुंचे गणपति
10 सितंबर से विशेष संयोग में शुरू होने वाली गणपति की विशेष पूजा को लेकर गुरुवार तक लोगों ने विधिविधान से गणेश प्रतिमा घरों में पहुंचा दी है। बाजार में सजे विभिन्न स्टॉल पर गणेश जी की प्रतिमाएं 100 से लेकर 3 हजार रुपए तक मिली। पिछले साल कोरोना काल में बिक्री में कम रही, लेकिन इस बार लोगों में कुछ ज्यादा ही उत्साह देखने को मिल रहा है।